भारत, अपनी विविधता और विशाल जनसंख्या के साथ, विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आज़ादी के बाद से भारत की आर्थिक नीतियों ने एक लंबा सफर तय किया है। इन नीतियों ने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस लेख में हम भारत की आर्थिक नीतियों और उनके मौजूदा प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
आर्थिक नीतियों का विकास
भारत की आर्थिक नीतियों को तीन प्रमुख चरणों में बांटा जा सकता है:
- 1947-1991: नियोजित अर्थव्यवस्था
आज़ादी के बाद, भारत ने समाजवादी दृष्टिकोण अपनाते हुए योजनाबद्ध आर्थिक विकास का मार्ग चुना। इस दौर में सार्वजनिक क्षेत्र पर जोर दिया गया और कृषि, उद्योग, एवं आधारभूत संरचना के विकास के लिए पाँच वर्षीय योजनाएँ शुरू की गईं। - 1991: आर्थिक उदारीकरण
1991 में आर्थिक सुधारों के माध्यम से भारत ने वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण की ओर कदम बढ़ाए। विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया और लाइसेंस राज को समाप्त किया गया। यह दौर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। - 2014 और उसके बाद: संरचनात्मक सुधार
हाल के वर्षों में डिजिटल अर्थव्यवस्था, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।
मौजूदा आर्थिक नीतियाँ और उनका प्रभाव
- मुद्रा और वित्तीय सुधार
- मुद्रा योजना (PMMY) ने छोटे उद्यमियों को ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार के अवसर बढ़ाए।
- GST (वस्तु एवं सेवा कर) ने पूरे देश में कर प्रणाली को सरल और एकीकृत किया।
- डिजिटल इंडिया और UPI क्रांति
डिजिटल इंडिया अभियान ने देश में डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया। UPI ने डिजिटल लेन-देन को सरल बनाया।प्रभाव: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन को कम किया गया है। - आत्मनिर्भर भारत अभियान
इस नीति के तहत भारत में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI (Production Linked Incentive) स्कीम चलाई गई।प्रभाव: घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिला और आयात पर निर्भरता कम हुई। - ग्रीन एनर्जी और पर्यावरणीय पहल
सौर ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े निवेश किए गए।प्रभाव: भारत ने पर्यावरणीय लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए।
मौजूदा चुनौतियाँ
- बेरोजगारी और कौशल विकास
रोजगार के अवसरों की कमी और कुशल श्रमिकों की आवश्यकता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। - आर्थिक असमानता
देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आय की असमानता अब भी एक प्रमुख मुद्दा है। - महँगाई और वैश्विक चुनौतियाँ
वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव और महँगाई का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
निष्कर्ष
भारत की आर्थिक नीतियाँ देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालाँकि, चुनौतियों के समाधान के लिए सतत प्रयास आवश्यक हैं। अगर सरकार और समाज मिलकर इन नीतियों को सही दिशा में लागू करें, तो भारत निकट भविष्य में एक आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर होगा।