भंडारा।
शिक्षण संस्थान के माता-पिता की फीस या फीस बकाया है, तो संस्था द्वारा कोई शैक्षिक दस्तावेज जारी नहीं किया जाता है यह नियम है। महर्षि विद्या मंदिर की प्राचार्य श्रुति संजय ओहोले ने विद्यालय छोड़ने का मूल प्रमाण पत्र स्वयं माता-पिता को दिया है और मधुकर देशमुख ने उन पर अदालत जाने और वकील के माध्यम से नोटिस भेजकर इसे वसूल करने की धमकी देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षण संस्थान में कई कदाचार हैं और प्रधानाध्यापक ने ऐसा निंदनीय काम किया है ताकि ये कदाचार सामने न आए। मधुकर देशमुख शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से महर्षि विद्या मंदिर अशोक नगर इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहे थे। जब मुझे इस स्कूल के बारे में पता चला तो मुझे पता चला कि मेरे साथ कुछ बेहद हैरान करने वाली बातें की गई हैं। ऐसा मधुकर देशमुख कहते हैं। महर्षि शिक्षण संस्थान में महाराष्ट्र शैक्षणिक संस्थान (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2011 लागू नहीं किया जा रहा है। प्रिंसिपल श्रुति ओहोले ने छात्रों और अभिभावकों के साथ बदतमीजी की। शैक्षणिक सत्र 2013-14 के बाद से कोई निर्धारित मान्यता नहीं की गई है। साथ ही प्रधानाध्यापक और शिक्षक के पदों को मान्यता नहीं दी गई। शुल्क निर्धारण समिति के गठन के बिना शोर शुल्क लगाया जाता है। बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के अनुसार, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पढ़ाया नहीं जाता है। और अपने बच्चे को बुनियादी और आवश्यक शिक्षा न देकर मुझे गुमराह किया गया है। और 2015-16 से मेरे पास से ट्यूशन फीस के रूप में 1 लाख 30 हजार रुपये वसूल किए गए हैं। महर्षि विद्या मंदिर में चल रहे अवैध कार्यों को सामने लाकर अभिभावकों में जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रहा हूं। सामाजिक कार्यकर्ता मधुकर देशमुख ने आरोप लगाया है कि प्रधानाचार्य श्रुति ओहोल ने मुझ पर दबाव बनाने के इरादे से एक अदालत के वकील के माध्यम से मुझसे ट्यूशन फीस वसूल करने के लिए नोटिस देकर मुझे धमकी दी है गौरतलब देशमुख मांग कि है कि अभी तक स्कूल ने उनकी तरफ से बेकायदा 1 लाख 30 वसुले है वो वापस करने कि मांग की है।