“अमिताभ बच्चन के संघर्ष के दिन: कैसे बने सदी के महानायक”

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अमिताभ बच्चन, जो आज बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे हैं, अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और अपार लगन से यह मुकाम हासिल किए हैं। “सदी के महानायक” का खिताब पाना कोई आसान बात नहीं थी। वह एक वक्त था जब अमिताभ बच्चन को काम पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, लेकिन उनके सपने और आत्मविश्वास ने उन्हें असंभव को संभव बना दिया।

इस ब्लॉग में हम अमिताभ बच्चन के संघर्षपूर्ण दिनों की यात्रा पर एक नज़र डालेंगे और जानेंगे कि कैसे उन्होंने अपने संघर्षों को अवसरों में बदला और बॉलीवुड में अपनी एक खास पहचान बनाई।


1. शुरुआत में अस्वीकृति और विफलता

अमिताभ बच्चन का जीवन किसी सपने की तरह था, लेकिन उनका शुरुआत बहुत ही कठिन थी।

  • रेडियो जॉकी के रूप में अस्वीकृति:
    सबसे पहले तो, अमिताभ का करियर रेडियो जॉकी के तौर पर शुरू हुआ था। उन्हें All India Radio में काम करने के लिए खारिज कर दिया गया था क्योंकि उनकी आवाज़ को उस समय रेडियो के लिए उपयुक्त नहीं माना गया था। यह उनका पहला बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय इसे प्रेरणा के रूप में लिया।
  • फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष:
    फिल्मों में एंट्री करने के बाद भी उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में किसी भी निर्माता ने उन्हें काम देने के लिए तैयार नहीं किया। उनकी लंबाई, चेहरे का रूप, और आवाज़ को लेकर भी आलोचनाएँ हुईं, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी।

2. ‘सिल्वर स्क्रीन’ की शुरुआत: संघर्ष के पहले कदम

अमिताभ बच्चन को सबसे पहले फिल्म “भुवन शोम” में एक छोटा सा रोल मिला था, लेकिन उनकी असली शुरुआत 1969 में फिल्म “सात हिंदुस्तानी” से हुई।

  • पहली फिल्म की असफलता:
    “सात हिंदुस्तानी” बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को फिल्मों की दुनिया में अपनी जगह बनाने का पहला मौका दिया। फिर भी, उनकी संघर्ष की यात्रा जारी रही।
  • ‘जंजीर’ और स्टारडम की शुरुआत:
    1973 में “जंजीर” फिल्म ने उनके करियर को एक नई दिशा दी। इस फिल्म ने न केवल अमिताभ को स्टार बनाया, बल्कि उन्होंने एक नए तरह के नायक के रूप में पहचान बनाई।

3. असफलताओं से सीखना और निरंतर प्रयास करना

अमिताभ बच्चन का करियर कई बार उतार-चढ़ाव से भरा था, लेकिन उन्होंने हर कठिनाई को अपने आत्मविश्वास और मेहनत से पार किया।

  • ‘कुली’ की दुर्घटना:
    1982 में फिल्म “कुली” की शूटिंग के दौरान अमिताभ गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनकी जिंदगी और करियर दोनों ही खतरे में थे, लेकिन इस घटना ने भी उन्हें और मजबूत बना दिया। उन्होंने एक लंबे समय तक बिस्तर पर रहने के बावजूद शूटिंग में वापसी की और दर्शकों को अपनी मजबूत इच्छा शक्ति दिखाई।
  • नौकरी छोड़ने का निर्णय:
    1990 के दशक में अमिताभ बच्चन की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो रही थीं। कई निर्माता-निर्देशक उनसे काम करने से बचने लगे थे। तब उन्होंने राजनीति में कदम रखा, लेकिन वह क्षेत्र भी उनके लिए उतना फायदेमंद नहीं रहा। हालांकि, उन्होंने जल्द ही यह एहसास किया कि सिनेमा उनका असली प्यार है।

4. टीवी के ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से हुआ कमबैक

अमिताभ बच्चन के लिए उनके संघर्ष का एक और अहम पल 2000 में आया जब उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के होस्ट के रूप में वापसी की।

  • टीवी के पर्दे पर वापसी:
    ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ने न केवल उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई, बल्कि उनके करियर को एक नई दिशा भी दी। उन्होंने यह साबित किया कि संघर्ष कभी भी किसी की हिम्मत नहीं तोड़ सकता।
  • सुपरस्टार की वापसी:
    KBC के बाद, उन्होंने बॉलीवुड में भी शानदार वापसी की और “कभी खुशी कभी ग़म”, “शमिताभ”, “सिलसिला” जैसी फिल्में की। उनकी वापसी ने यह सिद्ध किया कि कभी भी किसी भी व्यक्ति का संघर्ष उसकी सफलता में बदल सकता है।

5. फिल्मों के जरिए समाज को प्रभावित करना

अमिताभ बच्चन की फिल्में केवल मनोरंजन का स्रोत नहीं हैं, बल्कि वे समाज को जागरूक करने का भी काम करती हैं।

  • सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालना:
    अमिताभ की फिल्मों में समाज के विविध पहलुओं को उठाया गया है। “शहंशाह” में एक इंसाफ की बात थी, वहीं “दीवार” और “सिलसिला” जैसी फिल्मों ने सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों को मजबूती से पेश किया।
  • प्रेरणा देने वाली भूमिका:
    अमिताभ की अधिकांश फिल्मों में उनका पात्र किसी न किसी तरह संघर्ष की कहानी को दर्शाता है। उन्होंने हमेशा अपने पात्रों के जरिए यह संदेश दिया कि कठिनाइयाँ आएं तो हार मानने की बजाय उन्हें अवसर में बदलो।

निष्कर्ष: अमिताभ बच्चन का संघर्ष: सफलता की एक प्रेरक कहानी

अमिताभ बच्चन का संघर्ष सिर्फ एक स्टार बनने की कहानी नहीं है, बल्कि यह हर इंसान के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर कोई ठान ले, मेहनत करे, और हर चुनौती का सामना दृढ़ता से करे, तो सफलता एक दिन जरूर मिलेगी। चाहे वह शुरुआती अस्वीकृति हो, फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष हो, या व्यक्तिगत संकट—अमिताभ ने हर मुश्किल को अपने आत्मविश्वास और कठिनाई को अवसर में बदलने की कला से पार किया।

अमिताभ बच्चन के संघर्ष ने उन्हें केवल बॉलीवुड का शहंशाह नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा का एक अमूल्य रत्न बना दिया। उनके जीवन की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है जो जीवन में किसी भी वजह से कठिनाइयों का सामना कर रहा हो।

“सदी के महानायक” अमिताभ बच्चन का जीवन यह साबित करता है कि अगर मेहनत, संकल्प और आत्मविश्वास मजबूत हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता।

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