बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उनके शपथग्रहण समारोह में राजनीतिक हस्तियों के अलावा सिनेमा जगत के सितारे और बड़े कारोबारी मौजूद रहे.
एनसीपी अजित पवार गुट के अजित पवार छठीं बार उप-मुख्यमंत्री बने, तो निवर्तमान मुख्यमंत्री और शिव सेना एकनाथ शिंदे गुट के एकनाथ शिंदे पहली बार उप-मुख्यमंत्री बने.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को ही आ गए थे. लेकिन, अपने दम पर 132 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को अपना मुख्यमंत्री बनाने में 12 दिन और लग गए.
दस दिनों तक चली रस्साकशी में एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री बने रहने के लिए हर दांव चला ज़रूर, लेकिन बीजेपी ने साफ़ कर दिया कि इस बार मुख्यमंत्री तो उसका ही बनेगा.
शायद, यही वजह है कि शपथग्रहण हो जाने के कुछ घंटों पहले तक एकनाथ शिंदे ने ये स्पष्ट नहीं किया था कि वो स्वयं उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे या नहीं.
ये अलग बात है कि महायुति (बीजेपी, एनसीपी अजित पवार गुट और शिव सेना एकनाथ शिंदे गुट का गठबंधन) की विशाल जीत के बाद से ही शिंदे लगातार ये कहते रहे थे कि जो भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय करेंगे, वो उसे स्वीकार करेंगे.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को संकेत दिए हैं कि मंत्रिमंडल तय होने में 16 दिसंबर तक का वक्त लग सकता है.
ऐतिहासिक जीत के साथ सरकार बनाने वाले महायुति गठबंधन के सामने अब मंत्री पदों के बंटवारों की चुनौती है.
एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की जद्दोजहद अपनी जगह थी, लेकिन विधानसभा में पार्टियों के आंकड़े अपनी जगह है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल करने से बस कुछ ही क़दम दूर हैं. पांच निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी बिना गठबंधन सहयोगियों के ही 137 सीटों के आंकड़े पर है.
ऐसे में, ये स्पष्ट था कि भले ही शिंदे कितने ही दांव क्यों ना चले, आख़िर में समीकरण ही हावी हो जाएंगे. और दस दिन बाद ही सही, हुआ वही जो बीजेपी चाहती थी.
अब सवाल ये रह गया है कि क्या मंत्रिमंडल के बंटवारे में भी बीजेपी की ही चलेगी या एकनाथ शिंदे और अजित पवार यहां कुछ बड़ा हासिल कर पाएंगे.
एकनाथ शिंदे और अजित पवार मंत्रिमंडल में अधिक से अधिक हासिल करने की कोशिश ज़रूर करेंगे, लेकिन विश्लेषकों को लगता है कि इस बार उन्हें बीजेपी जितना देगी, उतने पर ही संतोष करना पड़ सकता है.
बीजेपी पर क्या ज़िम्मेदारी?
महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र साठे कहते हैं, “बीजेपी के सामने भले ही समीकरणों की मजबूरी ना हो, लेकिन इस समय उसके सामने गठबंधन धर्म निभाने की ज़िम्मेदारी है.”
दरअसल, बीजेपी पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने गठबंधन सहयोगियों की राजनीतिक ज़मीन हड़प लेती है.
जिस तरह साल 2022 में बीजेपी ने महाराष्ट्र में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को तोड़कर सरकार बनाई थी, उससे महाराष्ट्र में बीजेपी की छवि को झटका लगा था.
राजेंद्र साठे तर्क देते हैं, “बीजेपी नहीं चाहेगी कि उस पर ये आरोप लगे कि वह अपने गठबंधन सहयोगियों को पीछे छोड़ देती है. यही वजह है कि निर्दलियों के सहयोग से बहुमत के आंकड़े के क़रीब होने के बावजूद, बीजेपी एकनाथ शिंदे या अजित पवार को छोड़ देने का ख़तरा नहीं उठा रही है.”
एकनाथ शिंदे को तमाम कोशिशों के बावजूद मुख्यमंत्री पद नहीं मिला है, लेकिन वो संकेत दे रहे हैं कि गृह मंत्री का पद शायद उनके पास रहे.
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस, गृह मंत्रालय के अलावा वित्त मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय अपने पास ही रखने की कोशिश करेंगे.
बीबीसी मराठी के संपादक अभिजीत कांबले कहते हैं, “राजनीति में समीकरण सबसे अधिक मायने रखते हैं.”
“बीजेपी भले ही गठबंधन धर्म निभा रही हो, लेकिन ये लगभग स्पष्ट है कि गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय बीजेपी के पास ही रहेंगे. गृह मंत्रालय तो मुख्यमंत्री के पास ही रहेगा.”
वहीं राजेंद्र साठे कहते हैं, “बीजेपी ये चाहेगी कि उसके गठबंधन सहयोगी उसके साथ बने रहे, लेकिन एकनाथ शिंदे और अजित पवार अभी इस स्थिति में नहीं है कि वो बीजेपी से अपनी बात मनवा सकें.”
“जिस तरह शिंदे, देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने पर तैयार हो गए हैं, उन्हें गृह मंत्रालय की अपनी मांग को छोड़ने के लिए भी तैयार होना पड़ेगा.”