घन कचरा व्यवस्थापन प्रकल्प के अभाव में यह समस्या खड़ी हो गई है कि इस कचरे का क्या किया जाए. शहर से प्रतिदिन करीब 50 टन कूड़ा एकत्र किया जाता है. इस एकत्रित कूड़े में 15 से 20 टन सूखा कूड़ा होता है. सफाई कर्मियों के अनुसार इस सूखे कचरे में हर दिन औसतन 80 किलो प्लास्टिक होता है. 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग बाजार में दूकानदारों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा व्यापक रूप से बेचे और उपयोग किए जाते हैं. संबंधित दूकानदारों व विक्रेताओं के खिलाफ नियमित कार्रवाई नहीं होने से प्लास्टिक के उपयोग व बिक्री की मात्रा में वृद्धि हुई है. शहर में 100 से अधिक होटल, चाइनीज, वड़ा पाव विक्रेताओं के साथ-साथ कपड़ा दूकानदार, बर्तन विक्रेता और व्यवसायी हैं. इनके द्वारा बड़ी मात्रा में प्लास्टिक थैलियों का भी उपयोग किया जा रहा है. नगर परिषद के पास कचरा व्यवस्थापन प्रकल्प नहीं है. 8 साल से इसके लिए निधि मिलने के बाद भी इसके लिए जगह नहीं है, जिससे कूड़े की समस्या है. वर्तमान में कचरे को गोरेगांव तहसील के हिरडा माली में व्यवस्थापन प्रकल्प में भेजा जा रहा है. लेकिन गोंदिया के कचरे को लेकर हिरडा माली के नागरिकों ने विरोध किया था
गाड़ने पर नष्ट नहीं होता प्लास्टिक
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसे गाड़ने पर भी नष्ट नहीं किया जा सकता. यदि उसे जलाया जाए तो यह वायु प्रदूषण का कारण बनता है. जिससे गंभीर बीमारी होने का भी डर रहता है. साथ ही अगर इसे स्टोर किया जाए तो इससे दुर्गंध और अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं. प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. प्लास्टिक थैलियों के साथ पहली समस्या यह है कि ये थैलियां विघटित नहीं होती हैं. बैग को पूरी तरह से नष्ट होने में चार सौ से पांच सौ साल लग जाते हैं