मन की बात’ में मोदी का मेंटल-फिजिकल हेल्थ पर जोर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के 108वें एपिसोड पर देश को संबोधित किया। मोदी ने कार्यक्रम में मुख्य रूप से ‘फिट इंडिया’ अभियान पर चर्चा की। उन्होंने चेस ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद, एक्टर अक्षय कुमार और क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर से मेंटल और फिजिकल हेल्थ की टिप्स सुनवाईं।
पीएम ने 108वें एपिसोड की शुरूआत 108 अंक के महत्व के बारे में बताते हुए की। उन्होंने कहा कि हमारे यहां 108 अंक का महत्व, उसकी पवित्रता एक गहन अध्ययन का विषय है। 108 बार मंत्र जपा जाता है। मंदिरों में 108 सीढ़ियां होती हैं, इसलिए ये एपिसोड मेरे लिए और खास हो गया है।
इसके बाद मोदी ने फिट इंडिया, फिजिकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और न्यूट्रीशिन को लेकर लंबी चर्चा की। मोदी ने आखिर में भगवान श्रीराम के भजन को सोशल मीडिया पर शेयर करने की अपील की। उन्होंने कहा- हैशटेग श्रीराम भजन के साथ लोग अपनी रचनाएं शेयर करें। इससे देश के सभी लोग राममय हो जाएंगे।
पीएम की स्पीच की 4 बड़ी बातें
1. मेंटल हेल्थ के लिए पीएम का मंत्रमोदी ने कहा- भारत के प्रयास से 2023 को इंटरनेशनल ईयर आॅफ मिलेट्स के रूप में मनाया गया था। इससे इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स को बहुत सारे अवसर मिले हैं। फिजिकल हेल्थ को लेकर दिलचस्पी जिस तरह से बढ़ रही है, उससे इस क्षेत्र से जुड़े कोचेस और ट्रेनर्स की डिमांड भी बढ़ रही है ।
आज फिजिकल हेल्थ और वेलबींग की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन इससे जुड़ा एक और बड़ा पहलू मेंटल हेल्थ का भी है। इसकी भी उतनी ही चर्चा होनी चाहिए।
2. भारत की 2023 की उपलब्धियां गिनाईं
पीएम ने 2023 की चर्चा करते हुए कहा- इसी साल नारी शक्ति वंदन बिल भी पारित हुआ। नाटो-नाटो गाने को आॅस्कर मिला। इस साल खिलाड़ियों ने भी देश का नाम बढ़ाया। सिनेमा क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां रहीं। नाटो-नाटो गाने को आॅस्कर मिला।
3. भारत बन रहा इनोवेशन का हब
पीएम ने कहा कि भारत का इनोवेशन हब बनना इस बात का प्रतीक है कि हम रुकने वाले नहीं हैं। 2015 में हम ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें रैंक पर थे। आज हमारी 40वीं रैंक है।
4. झारखंड के गांव की चर्चा
पीएम ने झारखंड के आदिवासी गांव के बारे में बात की। उन्होंने कहा- गढ़वा जिले के मंगलों गांव के बच्चों को स्कूल में कुडुख भाषा में शिक्षा दी जा रही है। इस स्कूल में 300 आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं। कुडुख उरांव आदिवासी समुदाय की मातृभाषा है। कुडुख की अपनी लिपि भी है, जिसे तोलंग सिकी नाम से जाना जाता है। भाषा विलुप्त ना हो इसके लिए समुदाय ने बच्चों को इसी भाषा में शिक्षा देने का फैसला किया है। मातृभाषा में पढ़ाए जाने से बच्चों का पढ़ाई का स्तर सुधरा है। उनकी सीखने की गति तेज हो गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *