मुंबई . मुंबई के अंधेरी के एक परिवार ने 27 साल पहले कोपर खैराने इलाके में दो फ्लैट बुक कराए थे. लेकिन ये परिवार परेशान होता रहा मगर उनको फ्लैट नहीं मिला. परिवार ने 25.7 लाख रुपये में कोपर खैराने में दो फ्लैट बुक करवाए थे. सत्ताईस साल बाद अब बिल्डर को परिवार को लगभग 1.8 करोड़ रुपये देगा. क्योंकि बिल्डर फ्लैट परियोजना को पूरा करने में नाकाम रहा. यह पूरा मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के सामने चल रहा था. बिल्डर जसवंत भाटिया ने आयोग के सामने स्वीकार करते हुए 21 फरवरी को हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें फ्लैट खरीदारों गुल अचरा और कांता अचरा को हर दो महीने के अंतराल पर पांच एक जैसी किश्तों में पैसे का भुगतान करने पर सहमति जताई थी. सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने कहा, “यदि अपीलकर्ता (भाटिया) संबंधित अपीलों में किसी भी किश्त के भुगतान में गड़बड़ी करता है, तो आचरा परिवार राज्य आयोग के सामने आवेदन कर सकता है. फिर राज्य आयोग बिल्डर से वसूली के लिए आवश्यक वसूली प्रमाण पत्र जारी करेगा. बिल्डर मालिक भाटिया की कंपनी सिटी बिल्डर्स ने 1995 में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट ‘सिटी एम्बेसी’ लॉन्च किया था. गुल अचरा ने उस समयर कुल 7.7 लाख रुपये का भुगतान किया और उन्हें 1,570 वर्ग फुट का फ्लैट आवंटित किया जाना था. जबकि परिवार ने 1,645 वर्ग फुट दूसरे फ्लैट के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान किया. अप्रैल 1996 में, बिल्डिंग के निर्माण के दौरान, लोन वसूली न्यायाधिकरण ने भाटिया के खिलाफ लोन वसूली कार्यवाही के हिस्से के रूप में भवन को अटैच किया. वहीं 2003 में, आयकर प्राधिकरण ने इमारत को अटैच किया. इसलिए न तो बिल्डिंग का निर्माण पूरा हुआ और न ही कब्जा दिया गया.