नई दिल्ली
2022 यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 30 साल बाद प्रियंका की अगुआई में सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं…’ के नारे के साथ प्रियंका ने 40% महिलाओं को टिकट दिए। हालांकि नतीजों में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा। पार्टी 403 सीटों में से केवल 2 सीटें ही जीत पाई।
कांग्रेस के लिए प्रियंका आखिरी उम्मीद थीं। उसे लगता था उत्तर प्रदेश के चुनाव से प्रियंका का जादू चलेगा। इसके बाद शायद पार्टी में नई ऊर्जा आएगी। नतीजा बहुत निराशाजनक रहा। पार्टी को गिनती की 2 सीटें मिलीं, पिछले चुनाव से 5 कम। पार्टी ने 144 महिला कैंडिडेट को टिकट दिए, लेकिन केवल रामपुर खास सीट से आराधना मिश्रा को ही कामयाबी मिली। बाकी 137 महिला कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई।
प्रियंका की राजनीति का होगा आकलन
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार कुमार भवेश चंद्र कहते हैं, ‘प्रियंका ने चुनाव से पहले जो 40% महिलाओं को टिकट देने का एक्सपेरिमेंट किया था। वह कांग्रेस के हक में नहीं गया। इन नतीजों के बाद निश्चित तौर पर प्रियंका की राजनीति का आकलन होगा। उनके फैसले बेशक वोटों में तब्दील नहीं हो पाए हैं, लेकिन पूरे चुनाव में जिस तरह प्रियंका ने साफ-सुथरी राजनीति को आगे बढ़ाया है, कांग्रेस उन्हें डिमॉरलाइज नहीं करेगी।भवेश आगे कहते हैं, ‘दूसरे चश्मे से देखें तो इन चुनावों ने कांग्रेस को प्रियंका की राजनीतिक परिपक्वता भी दिखाई है। खुद प्रियंका की राजनीतिक समझ पहले से ज्यादा बढ़ी है। इसलिए कांग्रेस आने वाले चुनावों में भी प्रियंका का सहयोग लेती रहेगी। इस प्रदर्शन से उनके राजनीतिक करियर पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा।’
प्रियंका के आने से पहले विधानसभा चुनावों में क्या थी कांग्रेस की हालत
यूपी में कांग्रेस करीब ढाई दशक से अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थीं। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में कांग्रेस सूबे में सिर्फ दो सीटों तक ही सीमित रह गई।2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन किया और 114 सीटों पर चुनाव लड़ा। इनमें उसे केवल 7 सीटों पर कामयाबी मिली। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल अपना गढ़ रायबरेली ही बचा पाई थी। इस दौरान प्रियंका रायबरेली में प्रचार कर रही थीं।
उम्मीद बनकर आईं थी प्रियंका… लेकिन पहली ही परीक्षा में हो गईं फेल
बीते 17 साल से कांग्रेस की राजनीति का बड़ा चेहरा रहीं प्रियंका 2019 में राष्ट्रीय महासचिव बनाई गईं। सबको लगने लगा था कि वो ही कांग्रेस के डूबते हुए जहाज को किनारे तक ले जाएंगी, लेकिन 2022 के चुनाव ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। लगभग दो दशकों से संभालकर रखा गया कांग्रेस का तुरुप का पत्ता कैसे अपने पहले ही दांव में बेकार चला गया। आइए एक-एक
‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा यूपीवालों को समझ नहीं आया। सूबे में चुनावी प्रचार के दौरान इस बार प्रियंका ने पूरी ताकत झोंकते हुए महिला वोटर्स पर फोकस किया था। विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत के लिए 209 रैलियां और रोड शो किए। इस दौरान उन्होंने लखीमपुर हिंसा, हाथरस कांड, रोजगार और महिला सुरक्षा पर अलग-अलग मंचों से योगी सरकार को घेरा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, सचिन पायलट ने भी यूपी में आकर रैलियां की। अकेले प्रियंका ने 42 रोड शो किए। आखिरी चरण के चुनाव प्रचार तक उन्होंने कुल 167 रैलियां और जनसभाएं कीं, लेकिन नतीजों ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।