बेंगलुरु. कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर मंगलवार को जबरदस्त हंगामा हुआ. दिनभर कॉलेजों में दोनों ही पक्षों के स्टुडेंट इसको लेकर प्रदर्शन करते रहे. इसके बाद राज्य सरकार ने अगले तीन दिन के लिए स्कूल-कॉलेज बंद करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. इधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हिजाब विवाद के पीछे गजवा-ए-हिंद का हाथ होने की बात कही है. उन्होंने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश करार दिया है. इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट में मंगलवार को हिजाब मामले में मुस्लिम छात्राओं की 4 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट बुधवार को एक बार फिर मामले पर सुनवाई करेगा. शिमोगा में भी हिजाब को लेकर तनाव दिखाई दिया. सोशल मीडिया पर हिजाब विवाद अब भगवा और तिरंगे की जंग का रूप ले चुका है. एक वीडियो सामने आया है जिसमें कथित तौर पर कुछ युवक कॉलेज में लगे तिरंगे झंडे को हटाकर भगवा झंडा लगाते हुए दिखाई रहे हैं. यहां सुबह ही मुस्लिम युवकों ने प्रदर्शन के दौरान कॉलेज में पत्थरबाजी की. जिला प्रशासन ने यहां धारा 144 लागू कर दिया है. साथ ही, कॉलेज प्रशासन को अपने हिसाब से छुट्टी का फैसला लेने का निर्देश दिया है. इधर, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने ऐसी घटनाओं से प्रभावित शैक्षिक संस्थाओं को एक हफ्ते के लिए बंद करने का सुझाव दिया है. बता दें कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद 1 जनवरी को शुरू हुआ था. यहां उडुपी में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में क्लास रूम में बैठने से रोक दिया गया था. कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताया था. इसके बाद इन लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. लड़कियों का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है.
संविधान हमारे लिए भगवद्गीता: कोर्ट
हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक में जारी विवाद के बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छी बात नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सरकार छात्रों को दो महीने के लिए हिजाब पहनने की अनुमति देने के याचिकाकर्ता के अनुरोध से सहमत नहीं है. वह योग्यता के आधार पर मामले को उठाएगी. ‘हमारे लिए संविधान भगवद्गीता के समान है. हमें संविधान के मुताबिक ही कार्य करना होगा. हम संविधान की शपथ लेने के बाद इस स्थिति पर आए हैं कि इस मुद्दे पर भावनाओं को परे रखकर सोचा जाना चाहिए.’ पीठ ने कहा, ‘सरकार कुरान के खिलाफ फैसला नहीं दे सकती. पसंद की पोशाक पहनना मौलिक अधिकार है.