महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं. विधानसभा में विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह गंभीर आरोप लगाया था कि राज्य में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का बहुत बड़ा रैकेट काम कर रहा है. उनके इस आरोप को एनसीपी चीफ शरद पवार ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नकार दिया था. मुंबई में भी एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने इसे पूरी तरह से झूठ बताया था. अब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने इस बात की कबूली दी है. उन्होंने स्वीकार किया है कि उनके पास अनिल देशमुख अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए अनधिकृत लिस्ट भेजवाया करते थे.चूंकि देशमुख राज्य के गृहमंत्री थे इसलिए वे उनपर साइन कर दिया करते थे. उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव होने के नाते वे पद और कद में अनिल देशमुख से जूनियर थे. इसलिए सीनियर का आदेश समझ कर वे उनके द्वारा भेजी गई लिस्ट पर साइन कर दिया करते थे. उन्होंने यह भी बताया कि अनिल देशमुख ऐसे कागजात अपने पर्सनल सेकेट्री संजीव पालांडे के हाथ भिजवाया करते थे. सीताराम कुंटे पिछले साल नवंबर में मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए हैं. इसके बाद वे मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रधान सलाहकार के तौर पर नियुक्त हुए. सीताराम कुंटे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के काफी करीबी अधिकारी रहे हैं.मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने भी ट्रांसफर पोस्टिंग में अनिल देशमुख के हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था. परमबीर सिंह ने ED को इस बात की जानकारी दी थी कि उन्होंने जुलाई 2020 में मुंबई के 10 पुलिस अधिकारियों की बदली के आदेश दिए थे. इसके लिए दो दिनों में उनके पास तात्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे का वाट्सअप मैसेज आया था.100 करोड़ की वसूली मामले में फिलहाल ईडी कस्टडी में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के पैर अब और दलदल में धंसते हुए दिखाई दे रहे हैं. ईडी द्वारा 100 करोड़ की वसूली मामले में कुछ दिनों पहले राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की गई थी. 7 दिसंबर 2021 को ईडी ने सीताराम कुंटे से पूछताछ की थी. सीताराम कुंटे ने इस पूछताछ में यह कबूल कर लिया है कि देशमुख उनके पास पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की अनधिकृत लिस्ट भेजा करते थे. उसमें यह स्पष्ट लिखा होता था किस अधिकारी को किस जगह, किस पद पर भेजा जाना है.