दिग्रस:
एसटी कर्मचारियों ने राज्य परिवहन महामंडल (एसटी विभाग) के कर्मचारियों ने जहां राज्यभर में कामबंद आंदोलन कर राज्य सरकार से एसटी विभाग का सरकारी विभाग में विलय करने की मांग उठाई है। वहीं इसी कड़ी में दिग्रस डिपो के कर्मचारियों ने मुंडन कर अपना विरोध दर्ज किया है। बीते 3 नवंबर से राज्य भर में जगह-जगह जारी धरना प्रदर्शनों के माध्यम से सरकार की एसटी कर्मचारी विरोधी नीतियों का पुरजोर तरीके से विरोध किया जा रहा है। एसटी कर्मचारियों की मांगों में सरकार से एसटी की संपत्ति का अधिकार लेकर एसटी विभाग का पालकत्व स्वीकार करने और अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों को मिलने वाली सरकारी सेवा और सुविधाएँ प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।बता दें कि 3 नवंबर की रात से कामबंद आंदोलन के रूप में कर्मचारियों का राज्यभर में धरना प्रदर्शन जारी है। गौरतलब है कि एसटी विभाग के कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण काल और लॉकडाउन के दौरान बिकट घड़ी का सामना किया, जान जोखिम में डाल कर सेवा प्रदान की है, लेकिन बावजूद इसके समय पर पर्याप्त वेतन नही मिलने से आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ के तले दबकर राज्यभर में अबतक 34 एसटी कर्मचारियों ने आत्महत्याएं की है। ये बेहद चिंता की बात है फिर भी राज्य सरकार द्वारा एसटी कर्मचारियों की प्रलंबित मांगो की ओर लापरवाही बरती जा रही है। इस कड़ी में शनिवार को दिग्रस शहर के एसटी बस स्टैंड पर दिग्रस डिपो के 10 से 15 कर्मचारियों ने मुंडन कर विरोध प्रदर्शन किया।
सब्र से काम लें, कोई अनुचित फैसला न करें: राजगुरे
इस दौरान शनिवार को राज्य परिवहन महामंडल यवतमाल के विभागीय यांत्रिक अभियंता अविनाश राजगुरे ने दिग्रस डिपो पहुंच कर धरना प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों से मुलाकात कर संवाद साधा और बीते दिनों हुई कर्मचारियों की एक के बाद अब तक हुई कुल 34 आत्महत्याओं की वारदातों पर चिंता जताई। उन्होंने आगे कहा की इस बिकट घड़ी में हिम्मत से काम लेने की जरूरत है। आगे जरूर कोई न कोई हल जरूर निकलेगा इसलिए सब्र से काम लेने की अपील भी उन्होंने की।