
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर कानूनी बहस तेज हो गई है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत अदालत में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि अभी तक परिवार को हिरासत आदेश की प्रति नहीं दी गई है।
दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूषण ने बताया कि कानून के अनुसार पांच दिनों के भीतर आदेश की प्रति उपलब्ध करानी होती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया। वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने भी कहा कि गिरफ्तारी के बाद से न तो उनसे कोई संपर्क हो पाया है और न ही आदेश की कॉपी मिली है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने भी सरकार को घेरा। उन्होंने वांगचुक को ‘लद्दाख का गांधी’ बताते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी से क्षेत्र की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। यादव ने यह भी बताया कि देशभर की कई संस्थाएं और नागरिक संगठन वांगचुक के समर्थन में खड़े हैं और ज़रूरत पड़ने पर लद्दाख भी जाएंगे।
लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने साफ कर दिया है कि जब तक वांगचुक को रिहा नहीं किया जाता, वे केंद्र सरकार के साथ किसी भी तरह की बातचीत में शामिल नहीं होंगे। भूषण ने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम न केवल अनुचित है, बल्कि लद्दाख में असंतोष बढ़ा रहा है।