उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति

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भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद सीपी राधाकृष्णन ने बाज़ी मार ली है। उन्होंने विपक्ष की ओर से मैदान में उतरे उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को मात देकर यह जीत हासिल की। राधाकृष्णन अब देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने हैं।

मतगणना और जीत का अंतर

चुनाव आयोग के अनुसार, इस चुनाव में संसद भवन के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सदस्यों ने मतदान किया। मतगणना पूरी होने के बाद घोषित परिणामों में राधाकृष्णन को विपक्ष के मुकाबले काफी बढ़त मिली। बताया जा रहा है कि उन्हें कुल वैध मतों में से दो-तिहाई से अधिक समर्थन मिला। वहीं विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को अपेक्षित संख्या में समर्थन नहीं मिल सका।

सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सीपी राधाकृष्णन का राजनीति में लंबा और समृद्ध अनुभव रहा है। वे तमिलनाडु से भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं। संगठन में उनकी छवि एक अनुशासित, ईमानदार और सक्रिय नेता की रही है। उन्होंने कई बार राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को मजबूत करने में अहम योगदान दिया है। उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होना उनके राजनीतिक करियर का सबसे बड़ा पड़ाव माना जा रहा है।

विपक्ष की चुनौती

विपक्ष ने इस चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार के रूप में सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा था। रेड्डी एक जाने-माने न्यायविद और संवैधानिक मुद्दों के जानकार माने जाते हैं। हालांकि, विपक्षी दलों की एकजुटता उतनी मजबूत नहीं दिखी और कई दलों ने तटस्थ रुख अपनाया। यही वजह रही कि सुदर्शन रेड्डी अपेक्षित समर्थन जुटाने में असफल रहे।

उपराष्ट्रपति की भूमिका और जिम्मेदारी

भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है और संवैधानिक व्यवस्था में उसका विशेष महत्व होता है। उपराष्ट्रपति संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने, पक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाता है। सीपी राधाकृष्णन से उम्मीद है कि वे अपने अनुभव और सहज नेतृत्व शैली से इस पद की गरिमा को बनाए रखेंगे।

राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रियाएँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन की जीत पर बधाई देते हुए कहा कि यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और जनसमर्थन की झलक है। भाजपा नेताओं ने इसे संगठन की बड़ी उपलब्धि बताया, वहीं विपक्षी दलों ने हार स्वीकार करते हुए उम्मीद जताई कि नए उपराष्ट्रपति सभी दलों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करेंगे।

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