
भारत की राजनीति में आज का दिन बेहद अहम है। संसद भवन में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो रहा है। इस बार मुकाबला सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच सीधा है। एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं इंडिया ब्लॉक की ओर से बी. सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं।
चुनाव की प्रक्रिया और महत्त्व
उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सांसदों द्वारा किया जाता है। इसमें नामांकित सदस्यों को छोड़कर सभी सांसद मतदान का अधिकार रखते हैं। कुल मिलाकर लगभग 780 सांसद वोट डालते हैं। परिणाम तय करने में सत्ता पक्ष और विपक्ष की ताक़त का सीधा असर दिखता है।
उपराष्ट्रपति का पद केवल औपचारिक नहीं है। वे राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना उनकी प्रमुख ज़िम्मेदारी होती है। यही कारण है कि यह चुनाव संसद की कार्यप्रणाली और भविष्य की राजनीति पर गहरा असर डालता है।
कौन हैं उम्मीदवार?
सीपी राधाकृष्णन – तमिलनाडु से आने वाले वरिष्ठ नेता हैं। वे लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हुए हैं और संगठन के साथ-साथ संसदीय राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। उनकी छवि एक अनुभवी और सुलझे हुए नेता की है।
बी. सुदर्शन रेड्डी – विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार हैं और आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें कानूनी और राजनीतिक मामलों में गहरी पकड़ रखने वाला चेहरा माना जाता है। इंडिया ब्लॉक ने उन्हें इस चुनाव में एकजुटता और संतुलन का संदेश देने के लिए उतारा है।
राजनीतिक समीकरण
एनडीए फिलहाल संसद में बहुमत की स्थिति में है। लोकसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों की संख्या अधिक है, जबकि राज्यसभा में भी एनडीए का प्रभाव काफ़ी मज़बूत माना जा रहा है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीपी राधाकृष्णन की जीत की संभावना ज़्यादा है।
हालाँकि, इंडिया ब्लॉक इस चुनाव को विपक्षी एकता दिखाने का बड़ा अवसर मान रहा है। उनका दावा है कि भले ही नतीजा सत्ता पक्ष के पक्ष में जाए, लेकिन विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करना लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण संदेश है।
नतीजों पर सबकी नज़र
मतदान संसद भवन में सुबह से शुरू हुआ और सांसद एक-एक कर मतदान केंद्र पर पहुँच रहे हैं। मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतगणना होगी और देर शाम तक परिणाम घोषित किए जाने की संभावना है।
देशभर की निगाहें इस चुनाव पर टिकी हुई हैं, क्योंकि उपराष्ट्रपति का पद केवल संवैधानिक दायित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संसद की कार्यवाही की दिशा तय करने में भी बड़ी भूमिका निभाता है।