डिगडोह के दुर्गानगर में समस्याओ का अंबार

हिंगना।

राज्य की राजधानी से सटे एमआईडीसी क्षेत्र में डिगडोह एक समृद्ध ग्राम पंचायत है। बंसीनगर और दुर्गानगर की कॉलोनियों की स्थिति बेहद दयनीय है। यह बस्तीया मेट्रो स्टेशन के पास है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस कॉलोनी की पूरी तरह से अनदेखी की है। यह नियमित रूप से करों का भुगतान करने वाला क्षेत्र गंदगी से भरा है। इस वार्ड मे ग्रा प के तीन सदस्य है, और वे इसी क्षेत्र में रहते हैं। फिर भी यह इलाका इतना पिछड़ा कैसे है ? यह सवाल लोगों के मन में है। लोग आज भी उसी कुएं का पानी पीते हैं जो वे पिछले 35 साल से पीते आ रहे है, जनसंख्या कितनी बढ़ गई है, इसकी जानकारी प्रशासन को है फिर भी ग्रा प का ध्यान नही है। गरमी शुरू होते ही लोगों को दूषित पानी पीना पडता है, प्रशासन को जन स्वास्थ्य से कोई लेना-देना नहीं है, भविष्य में झुग्गी-झोपड़ियों के लोगों को कई पुरानी बीमारियों का सामना करना पड़ेगा, सड़कों की हालत दयनीय है, नालियां टूटी हैं, कूड़ा-करकट सड़कों पर फैला है, सफाई कर्मचारी बस झाड़ू लेकर घूमते हैं, उन्हें लगता है कि सदस्यों के घर के सामने थोड़ी सी झाडू लगा दी जाए तो गांव साफ हो जाएगा, लेकिन वेतन जनता के टैक्स से मिलता है।प्राधिकरण पेयजल के लिए योजना लेकर आया है, लेकिन पानी कब मिलेगा इसकी राय जनता देख रही है। पदाधिकारी हड़ताल पर चले गए लेकिन प्राधिकरण ने पसीना नहीं तोड़ा, बैठकें होती हैं। स्थानीय नेता दल बदलते हैं, वादे के साथ पांच साल कैसे बीतते हैं। पता नहीं, क्षेत्र के कुओं में पानी नहीं है, लेकिन व्यावसायिक फिल्टर चल रहे हैं प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग जोरों पर हो रहा है। प्रशासन में योजना का अभाव है प्रशासन अनभिज्ञ है, जो भी काम हो रहा है। गांव की गलियों को सदस्यों द्वारा बांट दिया गया है। यही कहते हैं गलियां बिक जाती हैं, लेकिन गांव अभी भी संतुलित विकास से कोसों दूर है, गांव का विकास नहीं हो रहा है, संतुलित विकास की परिभाषा हम नहीं जानते, स्थानीय नेताओं को अभी ध्यान देना चाहिए, नहीं तो हमारे अपने बच्चे भविष्य में जवाब मांगेंगे।

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