नागपुर।(नामेस)।
राज्य में बुधवार से कॉलेज दोबारा खोलने की अनुमति सरकार और जिला प्रशासन ने दी है. लेकिन, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की भौतिक उपस्थिति के साथ-साथ क्लासेस का संचालन कैसे किया जाए इस बात को लेकर अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है.राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ.संजय दुधे ने विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले तमाम कॉलेजों के प्राचार्यों की एक बैठक बुलाई. उन्होंने प्राचार्यों को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों से अवगत कराया.हालांकि, महाविद्यालय के प्राचार्य छात्रों की भौतिक उपस्थिति के साथ कक्षाएं शुरू करने के लिए उत्सुक नहीं हैं. आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन की डबल डोज़ से सिर्फ करीब 10 फीसदी छात्रों को ही दी गई है और बड़ी संख्या में छात्रों का अब भी पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हो पाया है. ऐसे में 50 प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति के मानदंड का कोई अर्थ नहीं निकलता है.अतः अधिकांश कॉलेजों के प्राचार्यों ने फिर से कॉलेज खोलने में अनिच्छा व्यक्त की. राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग ने राज्य के तमाम कॉलेज और स्कूल प्रबंधन के समक्ष उत्पन्न हो रही समस्याओं के समाधान पर काम नहीं किया है.
कुछ कॉलेजों के वरिष्ठ अधिकारीयों और प्राचार्यों ने अपनी परेशानी बताई. कई छात्रों को छात्रावास में रहने की आवश्यकता होती है, जो उनके लिए उपलब्ध नहीं है. नागपुर महानगरपालिका ने कोरोना प्रभावित मरीजों के ठहरने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रावासों का अधिग्रहण कर लिया है.नियमित शिक्षकों की कमी के कारण महाविद्यालयों को शैक्षणिक कार्य करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. अंतत: छात्र इसका शिकार हो रहे हैं और इसका खामियाज़ा पूरा समाज भुगत रहा है.
ऑनलाइन-ऑफलाइन पढ़ाना अत्यंत कठिन
शिक्षक-शिक्षिकाओं को एक ही विषय के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों क्लासेस में लेक्चर देने की अपेक्षा की जा रही है, जो अत्यंत कठिन है. अधिकांश कॉलेज अस्थायी शिक्षकों की मदद से क्लासेस का संचालन कर रहे हैं. इनकी नियुक्ति और इनके वेतन का विश्लेषण घंटों के आधार पर किया जा रहा है. अतः ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन करने के लिए वे दोगुने वेतन की मांग कर सकते हैं. कॉलेज प्रबंधन इसके लिए सहमत नहीं है, क्योंकि वेतन का भुगतान सामान्य निधि से किया जाना है, जो छात्रों से ली जाने वाली फीस के माध्यम से आती है.