23 जून 2025 को नदिया जिले के बरोचाँदघर इलाके में, जब कलियाँगंज विधानसभा उपचुनाव की मतगणना जारी थी, तब अचानक एक स्थानीय विस्फोट हुआ। इस घटना में 13 वर्षीय तमन्ना खातून की दर्दनाक मौत हो गई |
बताया जा रहा है कि यह विस्फोट तृणमूल कांग्रेस समर्थकों की जीत के जश्न के दौरान कच्चे बम फेंके जाने से हुआ — संभवतः एक सीपीएम समर्थक के घर के पास फेंका गया— और वही बम लड़की के करीब फट गया ।
विस्फोट के तुरंत बाद मृतका का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।पुलिस ने घटनास्थल पर छापेमारी शुरू की है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है ।डी.आई.जी. K. अमरनाथ ने कहा कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना” है, और दोषियों को पकड़ा जाएगा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख व्यक्त किया और कहा कि पुलिस “कड़क और निर्णायक कानूनी कार्रवाई” करेगी |भाजपा के अमित मालवीय ने इस घटना को तृणमूल कांग्रेस की “हिंसक, वोट-बैंक राजनीति” की देन करार दिया, और कहा –“एक बच्ची। हत्या। जबकि टीएमसी जीत का जश्न मना रही थी।”दूसरी ओर तृणमूल ने इन आरोपों को अस्वीकार कर जश्न में बम इस्तेमाल के कोई सबूत न होने की बात कही।
चुनाव आयोग की ओर से पूरे मतदान एवं मतगणना प्रक्रिया में सुरक्षा कड़ी थी – 14 कंपनियों की केंद्रीय फोर्स, लाइव स्ट्रीमिंग, पर्यवेक्षक तैनात थे |वहीं, उपचुनाव में टीएमसी की अलिफ़ा अहमद ने अपने पिता नसीरुद्धीन अहमद की सीट पर लगभग 50,000 वोटों से जीत दर्ज की ।लेकिन इस जीत की खुशी पर इस मासूम की आहुति ने पूरे माहौल को विषम बना दिया।फिर भी यह घटना प्रदेश की कानून-व्यवस्था और चुनावी सुरक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा गई।
कलियाँगंज की यह दर्दनाक घटना हमें याद दिलाती है कि राजनीतिक जीत का जश्न मानव सुरक्षा की कीमत पर कभी नहीं होना चाहिए।जीतना हो सम्मान और जिम्मेदारी से — न कि उल्लास में बम जैसे विनाशकारी उपकरणों से।अख़बारों में छपी खबरों को पढ़ते हुए एक सतर्क और संवेदनशील नागरिक के रूप में हम सभी को यह सोचना होगा –