हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसके लिए उन्हें कोई श्रेय या नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। यह बयान ट्रंप ने कई मौकों पर दोहराया है, जिससे भारत और पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है। इस ब्लॉग में, हम इस दावे की पृष्ठभूमि, इसके प्रभाव और इसकी सत्यता पर चर्चा करेंगे।
ट्रंप का दावा: क्या है पूरी बात?
ट्रंप ने हाल के महीनों में कई बार कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए फोन कॉल्स और व्यापारिक दबाव का उपयोग किया। उनका कहना है कि दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं, और अगर युद्ध हुआ होता तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने दोनों पक्षों के “प्रतिभाशाली लोगों” से बात की और युद्ध को रोकने में सफलता हासिल की। हालांकि, ट्रंप ने यह भी शिकायत की कि इस उपलब्धि के लिए उन्हें कोई मीडिया कवरेज या सम्मान नहीं मिला।
भारत और पाकिस्तान का रुख
भारत ने ट्रंप के इस दावे को खारिज किया है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम या तनाव कम करने की प्रक्रिया में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भी इस दावे पर कोई स्पष्ट समर्थन नहीं दिया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान उनकी विदेश नीति की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश हो सकती है, खासकर तब जब वह नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में खुद को प्रचारित करना चाहते हैं।
क्या है सच्चाई?
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव, खासकर कश्मीर मुद्दे को लेकर, लंबे समय से चला आ रहा है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था, लेकिन बाद में स्थिति को नियंत्रित किया गया। 2021 में, दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम का पुन: पालन करने की घोषणा की, जिसे भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम माना जाता है। ट्रंप के दावों में इस प्रक्रिया में उनकी भूमिका का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है।
ट्रंप और नोबेल पुरस्कार की चाह
ट्रंप ने पहले भी कई बार नोबेल शांति पुरस्कार की इच्छा जताई है। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की अपनी कथित क्षमता का भी जिक्र किया है। भारत-पाक युद्ध को रोकने का दावा भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। कुछ लोग इसे ट्रंप की आत्म-प्रचार की रणनीति मानते हैं, जबकि अन्य का कहना है कि वह अपने समर्थकों के बीच अपनी छवि को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का भारत-पाक युद्ध को रोकने का दावा विवादास्पद है और इसे लेकर भारत और पाकिस्तान में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि, इस दावे की सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने उनकी मध्यस्थता की पुष्टि की है। ट्रंप का यह बयान उनकी विदेश नीति की उपलब्धियों को बढ़ाने और नोबेल पुरस्कार की दौड़ में शामिल होने की उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। क्या यह दावा सच है या महज एक राजनैतिक रणनीति, यह समय और तथ्य ही बताएंगे।