जब गली-गली में ढोल-नगाड़ों की आवाज़ गूंजने लगे, जब घर-घर में लड्डू और मोदक की खुशबू बिखरने लगे, और जब हर दिल “बप्पा मोरया!” के जयघोष से भर जाए – तब समझिए कि गणेश चतुर्थी आ गई है।
यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और समर्पण का अद्भुत संगम है।
गणेश चतुर्थी – शुभ आरंभ का प्रतीक
गणेश चतुर्थी भगवान श्री गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
वह देवता जो विघ्नहर्ता (विघ्नों को हरने वाले) और बुद्धिदाता (बुद्धि देने वाले) माने जाते हैं।
किसी भी नए कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से ही होती है, क्योंकि वे सफलता और समृद्धि के देवता हैं।
घर-घर में गणपति बप्पा का स्वागत
गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में सुंदर गणपति मूर्ति स्थापित करते हैं।
सजावट, पूजा, मंत्रोच्चार और भजन से पूरा वातावरण आध्यात्मिक हो उठता है।
मोदक, जिसे बप्पा का प्रिय भोग माना जाता है, श्रद्धा से अर्पित किया जाता है।
बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक – हर कोई बप्पा के स्वागत में पूरी ऊर्जा और श्रद्धा के साथ जुटा होता है।
पंडालों की रौनक और सांस्कृतिक आयोजन
बड़ी-बड़ी सोसायटीज़ और मंडलों में भव्य गणेश पंडाल लगाए जाते हैं।
यहाँ केवल पूजा ही नहीं होती, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम, सामाजिक संदेश, नृत्य, संगीत और बच्चों की भागीदारी से यह एक सामुदायिक उत्सव बन जाता है।
लालबागचा राजा, सिद्धिविनायक जैसे प्रसिद्ध गणपति दर्शन के लिए लोग घंटों लाइन में लगते हैं – बस एक झलक पाने को।
गणपति बप्पा की विदाई – भावनाओं की बारिश
गणेश चतुर्थी का सबसे भावुक क्षण होता है – विसर्जन।
ग्यारह दिनों तक घर-परिवार का हिस्सा बने बप्पा को लोग ढोल, ताशा, नृत्य और गीतों के साथ विदा करते हैं।
लेकिन विदाई के साथ एक वादा भी होता है: “बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”
यह वाक्य केवल एक बोल नहीं, भक्ति और लगाव का प्रतीक बन जाता है।
हरित गणेश चतुर्थी – पर्यावरण का भी ख्याल
आज की पीढ़ी ने गणेश चतुर्थी को और भी सार्थक बना दिया है।
इको-फ्रेंडली गणपति, मिट्टी की मूर्तियाँ, प्राकृतिक रंगों का उपयोग और पानी बचाने की पहल – ये सब इस बात का प्रमाण हैं कि श्रद्धा के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है।
निष्कर्ष: बप्पा में है विश्वास, ऊर्जा और उल्लास
गणेश चतुर्थी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हर दिल का उत्सव है।
यह हमें सिखाता है कि हर विघ्न का नाश संभव है, अगर हम आस्था, प्रेम और सामूहिकता से जुड़ें।
इस गणेश चतुर्थी, आइए हम भी कहें:
“विघ्नहर्ता आए हैं, खुशियाँ साथ लाए हैं!”
“गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया!”