राजनीति में युवाओं की भागीदारी: ज़रूरत या विकल्प?

भारत में राजनीति का परिदृश्य हमेशा से ही व्यापक और जटिल रहा है।
जहां एक ओर हम लोकतंत्र का पर्व मनाते हैं, वहीं दूसरी ओर युवाओं की राजनीतिक भागीदारी को लेकर एक बड़ा सवाल उठता है –
क्या राजनीति में युवाओं की भागीदारी सिर्फ एक विकल्प है, या यह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए एक ज़रूरत है?


युवाओं की राजनीति से दूरी: एक खतरनाक ट्रेंड

आज के दौर में जब हर दिन कुछ नया बदलाव सामने आ रहा है, युवाओं की राजनीति से दूरी बढ़ती जा रही है।
क्यों?

  • अपराध और भ्रष्टाचार की बढ़ती मौजूदगी ने युवाओं का विश्वास तोड़ा है।
  • राजनीतिक दलों में कैरियर की सीमित संभावनाएँ हैं, और नतीजतन, युवा नेताओं की कमी दिख रही है।
  • युवाओं का ध्यान मुख्य रूप से रोज़गार, शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन पर केंद्रित हो गया है।

नतीजतन, हम एक ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं, जहां राजनीतिक निर्णयों पर वृद्ध वर्ग का दबदबा है, और युवा वर्ग खामोश बैठा है।


युवाओं की भागीदारी क्यों है ज़रूरी?

  1. नई सोच और ऊर्जा का प्रवाह:
    आज के युवा अपनी नई सोच, जागरूकता और ऊर्जा से राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं।
    वे सिर्फ विकास के ही नहीं, बल्कि समानता, त्वरित न्याय और आधुनिक चुनौतियों का समाधान देने के लिए तैयार हैं।
  2. राजनीतिक भ्रष्टाचार से लड़ाई:
    युवा शक्ति की भागीदारी भ्रष्टाचार और जमीन-आधारित राजनीति से मुकाबला करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
    उन्हें चाहिए कि वे पारंपरिक राजनीति से बाहर निकलकर नए तरीके अपनाएं। यह उन्हें प्रोत्साहित कर सकता है, और हम एक पारदर्शी और नैतिक राजनीति का निर्माण कर सकते हैं।
  3. प्रेरणा का स्रोत बनना:
    जब युवा राजनीति में भाग लेते हैं, तो यह अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का काम करता है।
    अगर वे दिखाते हैं कि सच्ची राजनीति में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है, तो यह नए विचारों और लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करने में मदद करेगा।

राजनीतिक दलों के लिए चुनौती: युवाओं को क्यों जोड़ें?

राजनीतिक दलों के लिए यह एक चुनौती बन चुकी है।

  • क्या वे युवाओं को केवल वोट बैंक के रूप में देखते हैं?
  • क्या युवाओं को केवल चुनावों के वक्त दिखावे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है?

सिर्फ युवाओं को टिकट देना, या उन्हें मंच पर बिठाकर भाषण दिलवाना समस्या का हल नहीं है।
उनकी वास्तविक भागीदारी तभी हो सकती है जब उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, नैतिक और पारदर्शी तरीके से
समय आ गया है कि राजनीतिक दल युवाओं को अधिक शक्ति और अधिकार दें, ताकि वे वास्तव में परिवर्तन ला सकें।


दुनिया में युवा नेताओं की सफलता की मिसाल

दुनिया भर में युवा नेताओं ने अपनी ध्यान केंद्रित नीतियों और नई सोच से वैश्विक राजनीति में क्रांति ला दी है।

  • जस्टिन ट्रूडो (कनाडा के प्रधानमंत्री) ने एक नई दिशा दिखाई।
  • एम्मा गोंजालेज़ (अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता) ने युवा विरोधी आंदोलनों की नींव रखी।
  • नरेंद्र मोदी और अर्जेंटीना के मौरिसियो मैक्रि जैसे नेताओं ने भी युवा सोच को प्राथमिकता दी।
    इनसे हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर युवा सत्ता में होते हैं, तो वे न केवल नए समाधान लेकर आते हैं, बल्कि जवाबदेही और समाजसेवा को भी प्राथमिकता देते हैं।

निष्कर्ष: क्या राजनीति में युवाओं की भागीदारी ज़रूरी है?

हाँ, राजनीति में युवाओं की भागीदारी न केवल ज़रूरी है, बल्कि यह अब एक आवश्यकता बन चुकी है।
हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए यह जरूरी है कि वे केवल वोट देने तक सीमित न रहें, बल्कि निर्णय लेने और सुधार लाने की प्रक्रिया का हिस्सा बनें।

अगर आज के युवा राजनीति से बाहर रहेंगे, तो कल उनकी ज़िंदगी पर वही लोग निर्णय लेंगे जो उनके दृष्टिकोण से दूर हैं।

समाज में बदलाव लाने के लिए, हमें युवाओं को सिर्फ राजनीति में खड़ा नहीं करना, बल्कि उन्हें सशक्त और जिम्मेदार बना कर नेतृत्व में लाना होगा। तभी हम सचमुच एक सशक्त और प्रगतिशील राष्ट्र की ओर बढ़ सकते हैं।

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