बिजली हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, लेकिन जब यह अधिकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है, तो जनता की परेशानी बढ़ जाती है।
विद्युत विभाग, जो हर घर में रोशनी लाने का जिम्मेदार होता है, आज कई इलाकों में भ्रष्टाचार, लापरवाही और मनमानी का गढ़ बनता जा रहा है।
लेकिन अब जनता चुप नहीं बैठी — जन जागरूकता, सोशल मीडिया, RTI और शिकायत पोर्टलों के माध्यम से लोग भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं।
इस ब्लॉग में जानते हैं कि बिजली विभाग में किस तरह का भ्रष्टाचार फैला है, जनता कैसे इसका विरोध कर रही है, और समाधान क्या हैं।
विद्युत विभाग में आमतौर पर देखे जाने वाले भ्रष्टाचार
1. 💸 रिश्वत लेकर कनेक्शन देना
- नया बिजली कनेक्शन पाने के लिए आम उपभोक्ता को महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं।
- कई जगहों पर बिना रिश्वत के फाइल आगे नहीं बढ़ती।
2. 🔌 फर्जी बिल और ओवरचार्जिंग
- उपभोक्ताओं को जानबूझकर ज़्यादा यूनिट डालकर बिल भेजे जाते हैं।
- जब उपभोक्ता शिकायत करता है, तो “सुलझाने” के लिए पैसा मांगा जाता है।
3. ⚙️ खराब मीटर का बहाना
- मीटर में गड़बड़ी दिखाकर उपभोक्ता से जुर्माना वसूला जाता है।
- जांच के नाम पर मोटी रकम ली जाती है, जबकि मीटर में कोई तकनीकी खराबी नहीं होती।
4. ⚠️ बिजली चोरी को नजरअंदाज़ करना
- कई बड़े उपभोक्ता, होटल, उद्योग, वगैरह खुलेआम बिजली चोरी करते हैं।
- अधिकारी या लाइनमैन कुछ हिस्सा लेकर आंखें मूंद लेते हैं।
5. 🧾 फर्जी रसीदें या नकली भुगतान
- भुगतान करने पर नकली रसीद दी जाती है, और उपभोक्ता को बाद में बकाया बताया जाता है।
जनता अब चुप नहीं है!
अब वो समय नहीं जब लोग डर के मारे कुछ नहीं कहते थे। आज जनता सोशल मीडिया, जन सूचना अधिकार (RTI), लोकपाल, उपभोक्ता फोरम और ऑनलाइन पोर्टल्स के ज़रिए आवाज़ उठा रही है।
कैसे जनता पोल खोल रही है?
- सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना
- झूलते तारों, खराब ट्रांसफॉर्मर या रिश्वतखोरी के वीडियो वायरल हो रहे हैं।
- RTI दाखिल कर के जानकारी लेना
- “किसका कितना बकाया है?”, “किसे कब कनेक्शन दिया गया?”, “किस अधिकारी ने कितनी जांच की?” — ऐसी जानकारियाँ RTI से निकलवाई जा रही हैं।
- ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना
- https://pgportal.gov.in या राज्य बिजली बोर्ड की वेबसाइट से लोग शिकायत दर्ज कर रहे हैं।
- लोकल मीडिया को खबर देना
- कई लोग स्थानीय न्यूज़ चैनल और अखबारों के ज़रिए भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ कर रहे हैं।
- जन प्रतिनिधियों से संपर्क करना
- विधायक, पार्षद या सांसद से मिलकर कार्यवाही की मांग करना अब आम बात हो गई है।
समाधान क्या हैं?
समाधान | विवरण |
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स्मार्ट मीटर | रीडिंग की गड़बड़ी, हेराफेरी और भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं। |
कैशलेस भुगतान | बिल का भुगतान केवल डिजिटल माध्यम से हो, ताकि कोई दलाली न हो सके। |
सीसीटीवी और ऑडिट | ऑफिस और मीटर इंस्टॉलेशन जैसे कार्यों में पारदर्शिता लाई जाए। |
जन-जागरूकता अभियान | लोगों को उनके अधिकारों और शिकायत प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाए। |
कड़े दंड | भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर सीधी कार्यवाही हो। |
निष्कर्ष
बिजली विभाग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ अब जनता खुद ही प्रहरी बन गई है।
हर शिकायत, हर वायरल वीडियो, हर RTI — एक नई रोशनी है जो अंधकार को चुनौती दे रही है।
👉 आप भी अगर बिजली विभाग में किसी गड़बड़ी या भ्रष्टाचार का शिकार हुए हैं, तो आवाज़ उठाइए।
“गलत को सहना भी एक तरह का अपराध है।”