2020 की सीमा झड़प के बाद संबंधों में सुधार के संकेत – आर्थिक और व्यापारिक वार्ताएं जारी।


🇮🇳🇨🇳 भारत-चीन संबंधों में नई दिशा

2020 की गलवान घाटी में हुई तनावपूर्ण सीमा झड़पों के बाद से भारत और चीन के रिश्तों में भारी खटास आ गई थी। लेकिन अप्रैल 2025 में कुछ सकारात्मक संकेत देखने को मिल रहे हैं। दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक वार्ताएं एक बार फिर सक्रिय हो गई हैं, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।


2020 की सीमा झड़प – एक त्वरित झलक

  • जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
  • इस संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे और चीन ने भी हताहतों की बात स्वीकार की थी।
  • इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य, कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए।

2025 में बदलता रुख

हाल ही में हुई द्विपक्षीय बैठकें, जिनमें वाणिज्य, निवेश और सीमा पार व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई, इस बात का संकेत देती हैं कि दोनों देश संबंध सुधारने के इच्छुक हैं

  • वाणिज्य सचिव स्तर की बातचीत में व्यापार पुनर्स्थापना पर चर्चा हुई।
  • चीन ने कुछ प्रतिबंधों को हटाने की सहमति दी है, जिससे भारतीय फार्मास्युटिकल और आईटी कंपनियों के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं।
  • भारत ने भी चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर जांच की प्रक्रिया को आसान करने पर विचार किया है।

व्यापार फिर से पटरी पर?

भारत और चीन के बीच व्यापार 2020 के बाद गिरावट के दौर में चला गया था, लेकिन 2024 के अंत तक द्विपक्षीय व्यापार $125 बिलियन के पार पहुंच गया। हालांकि व्यापार घाटा भारत के पक्ष में नहीं है, फिर भी दोनों देशों के लिए यह संबंध आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बना हुआ है।


कूटनीतिक संकेत

  • बीजिंग में भारतीय राजदूत ने हाल ही में व्यापारिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रिश्तों को “नई शुरुआत” देने की बात कही।
  • चीन की विदेश मंत्रालय ने भी “सकारात्मक बातचीत” और “सीमा विवाद को बातचीत के ज़रिए सुलझाने” की इच्छा ज़ाहिर की।

क्या यह स्थायी सुधार है?

हालांकि संबंधों में यह नरमी उम्मीद जगाती है, लेकिन सीमा पर स्थायी समाधान के बिना पूर्ण सामान्यीकरण संभव नहीं लगता। भारत ने स्पष्ट किया है कि LAC पर शांति और यथास्थिति की बहाली ही रिश्तों की नींव हो सकती है।


निष्कर्ष

2020 की दुर्भाग्यपूर्ण सीमा झड़प के बाद भारत और चीन के बीच जो तनाव उत्पन्न हुआ था, अब उसमें धीरे-धीरे नरमी आने लगी है। व्यापारिक वार्ताओं और कूटनीतिक संवादों के ज़रिए दोनों देश संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बदलाव सिर्फ व्यापार तक सीमित रहता है या राजनीतिक स्तर पर भी स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ता है।


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