कामठी।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी द्वारा प्राप्त 27 प्रतिशत राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कि राज्य सरकार स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित नहीं कर सकती, राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने और कार्यक्रम पर निर्णय लेने का अधिकार था। यह घोषणा की गई है कि जिसमें पांच जिलों में धुले, नंदुरबार, आकोला, वाशिम, नागपुर में 5 अक्टूबर, 2021 को उपचुनाव की घोषणा की गई। राज्य सरकार सहित सभी राजनीतिक दलों की भूमिका स्थानीय निकाय चुनाव कराने की नहीं थी जब तक कि ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण नहीं हटा लिया जाता। स्थानीय निकायों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को बनाए रखने के लिए हर कोई अपने-अपने तरीके से संघर्ष कर रहा है। ओबीसी, वीजेएनटी बहुजन कल्याण मंत्री विजय वडेट्टीवार और भटके-विमुक्त हक्का परिषद के मार्गदर्शन में गठित ओबीसी वीजेएनटी संघर्ष समन्वय समिति 20 को समन्वय समिति के समन्वयक अरुण खरमाटे एवं भटके विमुक्त हक परिषद के प्रदेश अध्यक्ष प्रा. धनंजय ओंबासे के मार्गदर्शन में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया गया।
भटके-विमुक्त हक्का परिषद ने धनंजय ओंबासे प्रदेश अध्यक्ष के मार्गदर्शन में विदर्भ में संबंधित जिलाधिकारी को ज्ञापन दिए गए। नागपुर में निवासी उपजिलाधिकारी श्रीमती विजया बनकर को ज्ञापन सौंपते वक्त हक्क परिषद के विदर्भ विभाग अध्यक्ष महेश गिरी, नागपुर जिलाध्यक्ष दयालनाथ नानवटकर, गोवर्धन बड़गे, यशवंत कातरे, विजय आगरकर, प्रदीप पुरी, प्रवीण पाचंगे, अनिल गिरी, अंकित पवार, बावने सर, अनूप उंबरकर आदि उपस्थित थे। उसी प्रकार भंडारा में नितेश पुरी, सुरेश खंगार, रवींद्र बमनोट, दीपक मारबते, दिनेश राठौड़, यादव सोरते आदि ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। वहीं अकोला में जिला अध्यक्ष गणेश सुरजोशी, जिला उपाध्यक्ष सुधाकर भामोदरे, पांडुरंग माल्टे, वासुदेवराव चित्ते, लक्ष्मण वानखड़े एवं अमरावती में जिला कार्यकारिणी पदाधिकारी कैलास पेंढारकर, रघुनाथराव पवार, वसंतराव कुरई, शंकर रुजाजी शिम्पीकर, राजेश गिरी आदि ने जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।