कोंढाली. नागपुर-वर्धा सीमा पर मासोद के पास की पहाड़ियों और रामगढ़ शिव गुफा की पहाड़ियों पर डेरा डाले तेंदुए ने कामठी-मासोद-बोपापुर जाटलापुर क्षेत्र में बड़ा उत्पात मचा रखा है, अब इस तेंदुए ने कोंढाली समीपस्थ पांजरा काटे के किसानों के गोवंशों को निशाने पर लेकर 6 तथा सात जून के रात अंदाजा बारा से एक बजे के दरमियान पांजरा काटे के किसान नरेंद्र भाऊ ठवळे के गौशाला में बंधे सात पशुओं में से दो गो वंशों (दो दो वर्ष के बछड़े) की शिकार किया. इस घटना की जानकारी वन विभाग को दे दी गयी है. बोर अभयारण्य में बाघों की संख्या बढ़ी है. इसके चलते यहां के बाघ/ तेंदुआ अपने नए (आश्रय) ठिकाने ढूंढकर अपना निवास+टेरिटरी बनाते है. इसी के चलते बोर अभयारण्य व्याघ्र प्रकल्प के नये तेंदुए ने घोड़ाडोंगरी और रामगढ़ आश्रय स्थल बनाने लगे हैं. ये बाघ और तेंदुए इस क्षेत्र में किसानों, गोपालकों तथा चरवाहों के मवेशियों का शिकार बना रहे हैं.
वन विभाग को इसकी सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्र अधिकारी, उप वन परिक्षेत्र अधिकारी, वन रक्षक, वन मजदूर मौके पर पहुंचकर पंचनामा बनाते हैं, और वन गश्ती या ट्रैप कैमरे लगाए जाते हैं, लेकिन वाघ और तेंदुए को यहां से भगाने मे सफलता नहीं मिली मासोद/धनौली/कामठी के पास घोड़ाडोंगरी में हर सप्ताह कम से कम एक मवेशी का शिकार किया जाता है, या फिर रामगढ़ पहाड़ी पर अपना निवास स्थान पहुंच जाते है. अब पांजरा काटे तथा समीपस्थ गांव के के पशुधन को अपना शिकार बना रहे हैं.
पांजरा काटे किसान के गौशाला में बंधे दो गो वंशों के शिकार की इस घटना की जानकारी वन परिक्षेत्र कार्यालय कोंढाली को सूचना दी. इस घटना की जानकारी मिलने पर कोंढाली वन परिक्षेत्र अधिकारी निशिकांत कापगते ने ऑन ड्यूटी वन स्टाफ उप वन परिक्षेत्र अधिकारी एफ बी पठाण और वन रक्षक एन डी सोमकुवर मौके पर पहुंचे और मृत गोवंश का पंचनामा किया.
बोर अभयारण्य के बाघ परियोजना में मौजूद हिंस्र जानवर अपना नया ठिकाना तलाश रहे हैं और कामठी, मासोद, बोपापुर, जटपुर, धनौली, मेटपांजरा काटे, धुरखेडा नागाझारी के लोगों के साथ ही किसानों, चरवाहों में भय का माहौल फैला है. उनके मवेशी या बकरी तथा अन्य पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं.
मवेशियों का मुआवजा बढ़ाने की मांग
इस मौके पर वन विभाग पंचनामा तो करता है, लेकिन किसानों को मुआवजा बहुत कम मिलता है और उन्हें समय पर नहीं मिल पाता. इसके लिए किसान हताश हो गये हैं. इस विषय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने हिंसक जानवरों के हमले में मृत गोवंशों और अन्य मवेशियों का मुआवजा बढ़ाने और संबंधित किसानों को एक माह के भीतर मुआवजा दिलाने की मांग की है.