उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक सनकी पति ने ससुराल पहुंच कर पत्नी को जिंदा जलाने के बाद ससुर की पत्थर मार कर हत्या कर दी। फिर खुद को भी गोली से उड़ा दिया. दो हत्याओं और एक आत्महत्या से यहां हड़कंप मचा हुआ है. मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनो शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू कर दी है.
आरोपी पति आज यानि रविवार को सुबह चार बजे ससुराल के घर की दीवार फांदकर घर में घुसा और इसके बाद उसने पारिवारिक विवाद के चलते अपनी पत्नी पर उस समय जिंदा जला दिया जब वह चारपाई में सो रही थी. चीख-पुकार सुनकर बचाने आए ससुर को भी आरोपी ने पत्थरों से कुचलकर मार डाला. इतना ही नहीं आरोपी ने बच्चों की भी गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की. दो लोगों की हत्या करने के बाद स्वयं को भी तमंचे से गोली मार ली, जिससे उसकी भी घटना स्थल पर ही मौत हो गई.
रविवार सुबह की है घटना
बीचबचाव में हमलावर पति का साथी प्रधानाध्यापक भी घायल हुआ है, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घटना आज सबेरे की है. जैसे ही इसकी खबर इलाके में पहुंची तो वहां हड़कंप मच गया है. मौके पर पुलिस अधिकारी और फील्ड यूनिट जांच-पड़ताल में जुटी हुई है. तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. जीवित बची बेटी ने बताया कि कैसे और क्यों पिता ने हत्याएं की है.
जिले में मुस्करा थानाक्षेत्र के पहाड़ी भिटारी गांव निवासी 42 वर्षीय ओमप्रकाश राजपूत अपनी 40 वर्षीय पत्नी अनुसुइया, 17 वर्षीय पुत्री केबीसी, 12 वर्षीय पुत्री जूली, 10 वर्षीय पुत्र प्रिंस के साथ रहता था. आए दिन विवाद होने के चलते पांच महीने पहले पत्नी अनुसुइया ने घर छोड़ दिया. वह अपने तीनों बच्चों के साथ पिता के घर राठ कस्बे के लीलावती नगर पठानपुरा मोहल्ले में चले गई.
जीआरवी इंटर कॉलेज की कक्षा 11 की छात्रा केबीसी ने बताया वह अपनी मां अनुसुइया बहन जूली और भाई प्रिंस के साथ कस्बे के लीलावती नगर पठानपुरा में रहते हैं. कुछ दिनों से मोहल्ले में उनके मकान का निर्माण चल रहा था, जिसकी देखभाल करने के लिए गुरुवार को लोदीपुरा निवासी 60 वर्षीय नाना नंदकिशोर भी रहने आ गए थे. शनिवार शाम सात बजे पिता ओमप्रकाश राजपूत के साथी उच्च प्राथमिक विद्यालय भिटारी के प्रधानाध्यापक 55 वर्षीय रतनलाल वर्मा घर पर आए और वहीं पर सो गए.
बीच-बचाव करने आए थे ससुर
केबीसी ने बताया आधी रात के बाद दीवार फांदकर पिता ओमप्रकाश राजपूत घर में घुस आए और सबसे पहले मां अनुसुइया को सोते समय चारपाई पर ही जिंदा जला दिया. आग का गोला बनी मां चीखी चिल्लाती इधर-उधर भागी. प्रधानाध्यापक रतनलाल वर्मा ने मां को बचाने की कोशिश की, जिसमें वह भी झुलस गए. चीख-पुकार सुन नाना नंदकिशोर जब मौके पर पहुंचे तो पिता ने उन्हें भी जमीन पर पटक दिया और पत्थरों से कुचल दिया, जिससे उनकी भी मौके पर ही मौत हो गई.