उत्तरकाशी। उत्तराखंड की उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर निकलने का इंतजार पूरा देश कर रहा है, लेकिन रेस्क्यू में आ रही दिक्कत से सभी की सांसें अटकी हुई हैं। कभी सरिया तो कभी पत्थर उन तक पहुंचने में बाधा बन रहे हैं।
शुक्रवार को ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ तो आॅगर मशीन के रास्ते में स्टील के पाइप आ गए, जिसके चलते पाइप मुड़ गया। स्टील के पाइप और टनल में डाले जा रहे पाइप के मुड़े हुए हिस्से को बाहर निकाल लिया गया है। आॅगर मशीन को भी नुकसान हुआ था, जिसे ठीक कर लिया गया है।
मिनिस्ट्री आॅफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के एडिशनल सेक्रेट्री महमूद अहमद ने शुक्रवार को बताया कि 46.8 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है। 15 मीटर की खुदाई बाकी है। टनल में 6-6 मीटर के दो पाइप डालने के बाद ब्रेकथ्रू मिल सकता है। अगर ब्रेकथ्रू नहीं मिला तो तीसरा पाइप डालने की भी तैयारी है।
मजदूरों को निकालने के लिए मॉक ड्रिल
उधर, एनडीआरएफ ने मजदूरों को निकालने के लिए मॉक ड्रिल की। साथ ही गुरुवार (23 नवंबर) की शाम आॅगर मशीन का प्लेटफॉर्म टूट गया था, जिसे ठीक किया गया। ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार अध्ययन से पता चला है कि अगले 5 मीटर में कोई रुकावट नहीं है। ड्रिलिंग 30 घंटे से बंद है। सभी मजदूर 12 नवंबर से टनल में फंसे हैं।
अंदर फंसे लोगों को निकाल लाएंगे- आॅगर मशीन आॅपरेटर
उत्तर प्रदेश (गोरखपुर) के रहने वाले प्रवीण कुमार यादव अमेरिकी आॅगर मशीन के आॅपरेटर हैं। प्रवीण इस पूरे बचाव अभियान में लगे रहे हैं। प्रवीण ने ही 45 मीटर अंदर पाइप में जाकर उस सरिया और स्टील पाइप को काटा था, जो ड्रिलिंग में दिक्कत कर रहा था। प्रवीण ने बताया कि मैं 3 घंटे पाइप के अंदर रहा। यहां आॅक्सीजन की कमी थी। रिस्क भी थी, लेकिन बिना रिस्क के ये काम नहीं होता।
प्रवीण ने बताया कि अब आॅगर मशीन की वर्किंग करना शुरू हो जाएगी। तकरीबन 8 से 10 मीटर पाइप को पुश करना है। यदि 6 मीटर पाइप पुश हो जाता है तो उस मिट्टी को आगे धकेलकर फंसे मजदूर तक पहुंचा जा सकता है। मेरा 14 साल का एक्सपीरियंस है। हम अंदर फंसे लोगों को निकालकर लाएंगे।
13 दिन हो गए मेरे बेटे को कब निकालेंगे?
उत्तरकाशी। 50 साल के चौधरी लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं, मजदूरी जिस काम से मिलती है वो काम कर लेते हैं, कोई तयशुदा जॉब नहीं है। चौधरी का छोटा बेटा मनजीत अभी जिंदगी और मौत के बीच उसी टलन में फंसा हुआ है, जहां उसके अलावा 40 और मजदूरों की जिंदगी अटकी हुई है। चौधरी को जैसे ही खबर मिली कि उनका बेटा मनजीत जिस उत्तरकाशी की टनल में काम करता है, उस टनल में हादसा हो गया है, उनका बेटा भी अंदर फंस गया है।चौधरी भागते-दौड़ते उत्तरकाशी चले आए। पिछले 13 दिन से चौधरी सुबह से शाम रोज टनल का मुहाना देखते हैं, लेकिन देर शाम फिर लौट जाते हैं, इस उम्मीद में कि अगले सूरज के साथ उनका बेटा मनजीत भी बाहर निकलेगा।
जयमल सिंह नेगी के भाई भी फंसे हैं टनल में
कोटद्वार पौड़ी के रहने वाले जयमल सिंह नेगी के भाई गब्बर सिंह नेगी टनल में फोरमैन का काम करता है, गब्बर भी टनल में फंसा हुआ है। गब्बर अपने भाई के टनल हादसे में फंस जाने की खबर सुनते ही उत्तरकाशी टनल साइट पर चले आए। जयमल अपने भाई गब्बर के बारे में बात करते हुए भावुक हो जाते हैं, कहते हैं- ‘गब्बर ने मुझे कई बार कहा कि टनल का काम रिस्की है, लेकिन कौन नहीं लेता है रिस्क। मुझे भरोसा है कि गब्बर बाकी 40 मजदूरों के रेस्क्यू में अंदर मदद करेगा और दूसरों की चिंता पहले करेगा। वो सबसे आखिरी में बाहर आएगा।’