भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कहना है कि बच्चों को शुरू से ही ‘सेल्फ स्टडी’ में व्यस्त रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति बचपन से ही स्वाध्याय करके एक अच्छा पाठक बन सकता है। उन्होंने मनोरंजक और बोधगम्य बाल साहित्य का सृजन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सोमवार को बारीपदा, ओडिशा में अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के 36वें वार्षिक सम्मेलन और साहित्यिक महोत्सव में उपस्थिति रही। यहां उन्होंने कहा कि न केवल संथाली साहित्य बल्कि सभी भारतीय भाषाओं में रोचक बाल साहित्य सृजन पर भी जोर दिया जाना चाहिए। भारत विभिन्न भाषाओं और साहित्य का एक सुंदर उद्यान है।
उन्होंने यह भी कहा कि भाषा और साहित्य वे सूक्ष्म धागे हैं जो राष्ट्र को एक साथ बांधते हैं और साहित्य विभिन्न भाषाओं के बीच व्यापक आदान-प्रदान से ही समृद्ध होता है। यह कार्य अनुवाद के माध्यम से संभव है। उन्होंने कहा कि संथाली भाषा के पाठकों को अनुवाद के माध्यम से अन्य भाषाओं के साहित्य से भी परिचित कराया जाना चाहिए। उन्होंने संथाली साहित्य को अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुंचाने के लिए इसी तरह के प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।