मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राहत कोष में चंदा जमा करने के मामले में उद्धव ठाकरे पहले नंबर पर थे, लेकिन खर्च करने में देवेंद्र फडणवीस पहले नंबर पर थे। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ऐसी जानकारी निकाली है। गलगली का कहना है कि मुख्यमंत्री सहायता निधि कक्ष में आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति से फंड में वृद्धि होगी और पारदर्शिता बनी रहेगी। लाभार्थियों की पूरी सूची उपलब्ध कराने से कुछ हद तक धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा।
मुख्यमंत्री सचिवालय से मुख्यमंत्री सहायता निधि के बारे में आरटीआई विशेषज्ञ गलगली ने जानकारी मांगी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय के सहायक लेखा अधिकारी संजय तांबे से मिली जानकारी के अनुसार, 1 अप्रैल 2022 को शेष राशि 418.88 करोड़ रुपये थी, जबकि 31 मार्च 2023 तक शेष राशि 445.22 करोड़ रुपये थी। फडणवीस और उद्धव ठाकरे के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यकाल की तुलना करें तो शिंदे काफी पीछे पिछड़ गए हैं।
गलगली कहते हैं कि पिछले 3 मुख्यमंत्रियों की तुलना में एकनाथ शिंदे खास चंदा नहीं ला पाए हैं। इस साल 65.88 करोड़ रुपये ही इकट्ठा हुआ है। फडणवीस के पांच साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री सहायता निधि में 614 करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी, जबकि उद्धव ठाकरे के समय में 2 साल में 793 करोड़ की बढ़े।
जरूरतमंदों की मदद करने में फडणवीस तीनों मुख्यमंत्रियों में अव्वल रहे हैं। उनके कार्यकाल में 1 लाख 7 हजार 782 आवेदन मिले, जिनमें से 63 हजार 573 नागरिकों को 598.32 करोड़ की सहायता दी गई। उद्धव ठाकरे ने 10 हजार 712 आवेदनों में से 4 हजार 247 नागरिकों को 20.28 करोड़ रुपये की मदद की, जबकि एकनाथ शिंदे ने 14 हजार 566 में से 7419 नागरिकों को 57 करोड़ रुपये की मदद की है।
कोरोना काल में मिला खूब चंदा
पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के समय कोरोना का प्रकोप था। लोग खुलकर सरकार को पैसा दे रहे थे। हां, वह पैसा खर्च नहीं हो पा रहा था, यह अलग बात है। एकनाथ शिंदे के कार्यकाल में 65.88 करोड़ का इजाफा हुआ है।