नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को नौ मैतेई उग्रवादी ग्रुप्स और उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया। यह बैन इनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने के कारण लगाया गया है। ये ग्रुप्स मणिपुर में एक्टिव हैं। यह बैन आज (13 नवंबर 2023) से ही लागू होगा।
इन उग्रवादी ग्रुप्स पर लगाया बैन
गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में जिन ग्रुप्स को बैन गया है उनमें- पीपुल्स लिबरेशन (पीएलए) और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी आर्म्ड फोर्स मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी आॅफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) और इसकी आर्म्ड फोर्स, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) और इसकी आर्म्ड फोर्स रेड आर्मी, कांगलेई याओल कनबा लुप (केवायकेएल), समन्वय समिति (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेइपाक (एएसयूके) शामिल हैं।
इन ग्रुप्स पर बैन बढ़ा
पीएलए, यूएनएलएफ, पीआरईपीएके, केसीपी और केवायकेएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गृह मंत्रालय ने बैन किया था। नए एक्शन में इन पर बैन को पांच साल तक बढ़ा दिया है। अन्य संगठनों के गैरकानूनी घोषित होने का ऐलान ताजा है।
बैन नहीं किया तो मौका मिल जाएगा
अपने नोटिफिकेशन में गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार का मानना है कि यदि मैतेई उग्रवादी ग्रुप्स को तत्काल कंट्रोल नहीं किया गया तो इन्हें अपनी अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक एक्टिविटीज को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को संगठित करने का मौका मिल जाएगा। वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे। नागरिकों की हत्याएं करेंगे और पुलिस,सुरक्षा बल के जवानों को निशाना बनाएंगे। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद खरीदेंगे और जबरन वसूली करेंगे। अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन जुटाएंगे।
विदेश से संपर्क बना रहे
नोटिफिकेशन के अनुसार मैतेई उग्रवादी ग्रुप्स जनता की राय को प्रभावित करने और अपने अलगाववादी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हथियारों और प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी मदद हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अभयारण्यों, प्रशिक्षण और हथियारों और गोला-बारूद की गुप्त खरीद के लिए ये पड़ोसी देशों में कैंप लगाने के लिए विदेशी सूत्रों से संपर्क बना रहे हैं।
जातीय हिंसा में 180 के ज्यादा मौतें
3 मई में को पहली बार जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से मणिपुर में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। ये झड़पें जातीय मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई हैं। हिंसा का एक प्रमुख फ़्लैशप्वाइंट मैतेई को रळ का दर्जा देने का कदम रहा। हालांकि इसे बाद में वापस ले लिया गया है।