नागपुर। 67 वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिन के मौके पर आयोजित धम्मदीक्षा समारोह के पहले दिन 10 हजार लोगों ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली. दीक्षाभूमि में प्रति वर्ष धम्मचक्र प्रवर्तन दिन के अवसर पर धम्मदीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. देश के विभिन्न इलाकों से आने वाले अनुयायी इस अवसर पर त्रिशरण और पंचशील ग्रहण कर बौद्ध धम्म को स्वीकार करते हैं. इस दफा भी धम्मदीक्षा का समारोह तीन दिन तक चलने वाला है.
दीक्षाभूमि में भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई के नेतृत्व में धम्मदीक्षा समारोह की शुरुआत हुई. धम्मदीक्षा ग्रहण करने वाले अधिकांश लोगों में उत्तरप्रदेश, बिहार और कर्नाटक राज्य के अनुयायियों का समावेश है. दीक्षा लेने के बाद अनुयायियों को प्रमाणपत्र दिया गया. इस अवसर पर भंते धम्मसारथी, भंते नागवंश, भंते नागसेन, भंते प्रज्ञाबोधी, भंते धम्मविज्ज, भंते महानाग, भंते धम्मप्रकाश और भिक्खु संघ के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
दीक्षाभूमि में धम्मचक्र प्रवर्तन दिन का मुख्य समारोह कल
नागपुर। आगामी मंगलवार 24 अक्तूबर को दीक्षाभूमि में 67 वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिन का मुख्य समारोह आयोजित किया गया है. शाम को 6 बजे होने वाले इस कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले, राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, थायलैंड के डॉ. अफिनिता चाई चाना, रेव. डब्ल्यू. धम्मरत्न थेरो, श्रीलंका की प्रमुख उपस्थिति रहेगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता स्मारक समिति के अध्यक्ष भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई करेंगे. इस बीच दीक्षाभूमि पर अनुयायियों का आगमन प्रारंभ हो गया है.
दीक्षाभूमि से ड्रैगन पैलेस तक आपली बस सेवा
महानगरपालिका के परिवहन विभाग की ओर से 22 से 26 अक्तूबर तक दीक्षाभूमि से ड्रैगन पैलेस के बीच 159 विशेष आपली बससेवा चलाई जाएगी. ये विशेष बसें दीक्षाभूमि से चलकर अंबाझरी, नारा, नारी, वैशालीनगर, नागसेन, रानी दुर्गावती चौक, आंबेडकर चौक (गरोबानगर), रामेश्वरी आदि मार्गों से होते हुए कामठी स्थित ड्रैगन पैलेस पहुंचेंगी. 22 अक्तूबर को 3, 23 को 29, 24 को 86, 25 को 39 और 26 अक्तूबर को बसों की 2 फेरियां छूटेंगी.
याद रहे, डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने नागपुर में 14 अक्तूबर 1956 को विजयादशमी के दिन आयोजित समारोह में लाखों जनसमुदाय के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी. इसके बाद देशभर में बौद्ध धर्मांतरण समारोह दिवस को ‘धम्मचक्र प्रवर्तन दिन’ के रूप में मनाया जाता है. आज नागपुर में दीक्षाभूमि में भारत का सबसे बड़ा स्तूप बनाया गया है. यह स्तूप देश के सभी बौद्धों का ऊर्जास्थल है.