मुंबई. राज्य की कई जेलों में इन दिनों कैदी पढ़ाई करने में लगे हैं। देवानंद और विजय नाम के दो कैदियों को हत्या के मामले में सजा हुई थी। 2020 में उन दोनों ने ही बीए की परीक्षा पास कर ली और इसलिए उनको 90 दिन की छूट दे दी गई है। जल्दी रिहाई के लिए इस छूट से प्रभावित होकर अब जेलों में बहुत सारे कैदी डिग्रियां हासिल करने में लग गए हैं। एक दशक से भी लंबे वक्त से बंद कैदी अब जेल में पोस्ट ग्रेजुएशन तक करने लगे हैं। इन दोनों कैदियों ने इस साल एमए की भी परीक्षा पास कर ली और ऐसे में उन्हें कुल 6 महीने की छूट मिल गई।
राज्य की जेलों में ऐसे 145 कैदी हैं जिन्होंने बीते तीन साल में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाएं पास की हैं। महाराष्ट्र की 10 जेलों में कैदियों के लिए एजुकेशन सेंटर चलाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कैद के दौरान पढ़ाई से कैदियों को एक उद्देश्य मिल जाता है। उन्होंने कहा, कई लोगों को कम ही उम्र में जेल हो जाती है। ऐसे में उनकी पढ़ाई भी छूट जाती है। जेल में भी अगर वे चाहें तो पढ़ाई जारी रख सकते हैं। वहीं पढ़ाई करने के बाद रिहाई पर उन्हें नौकरी भी मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि पढ़ाई से रिहाई के बाद भी रोजी-रोटी का साधन मिलने में आसानी होती है। एडिशनल डीजीपी अमिताभ गुप्ता के मुताबिक जेल से छूटने के बाद समाज में घुलने-मिलने और अपने परिवार का पालन करने में पढ़ाई की बड़ी भूमिका रहती है। वहीं एजुकेशन से वे अपराध से दूर होते हैं। बता दें कि महाराष्ट्र की 60 जेलों में महाराष्ट्र प्रिजन रूल्स 1962 के मुताबिक सजा में छूट मिल सकती है। 2019 में एक सर्कुलर जारी करके कहा गया था कि 10वीं, 12वीं, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी, एमफिल करने वालों को 90 दिनों की विशेष छूट मिलेगी।
इसके अलावा इस सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि अगर जेलर चाहें तो 60 दिनों की अतिरिक्त छूट भी दे सकते हैं। हालांकि कोर्स पास करने के बाद ही यह छूट ली जा सकेगी। आंकड़ों के मुताबिक तीन सालों में नागपुर सेंट्रल जेल के 61 कैदियों को यह सुविधा मिली है। एक महिला ने भी नागपुर जेल में पोस्टग्रैजुएशन किया। वे पति-पत्नी हत्या के मामले में जेल में बंद थे। जेल में इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी और यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करवाई जाती है। इसके लिए शिक्षक की भी नियुक्ति की गई है।
वहीं जेल प्रशासन का कहना है कि अगर कोई कैदी अच्छा पढ़ा लिखा है तो वह भी अन्य कैदियों को पढ़ाता है। 8 साल में कम से कम 2200 कैदियों ने परीक्षाएं पास की हैं। ज्यादातर कैदी बीए, एमए, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, हिंदी, मराठी करते हैं। इसके अलावा कैदी 6 महीने के कोर्स भी करते हैं। कई कैदियों ने तो जेल में एमबीए तक किया है।