आईपीएस अधिकारी रश्मी शुक्ला को बॉम्बे हाई कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई है. कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर दोनों एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए हैं. एक एफआईआर पुणे तो दूसरा मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी. स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में रहते हुए रश्मी शुक्ला पर आरोप था कि उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में विपक्षी नेताओं की फोन टेपिंग कराई थी.विरोधी पक्ष के नेताओं की टैपिंग के इस मामले में ठाकरे शासन में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. पुणे में नाना पटोले और मुंबई में संजय राउत और एकनाथ खडसे का फ़ोन टेप करने का आरोप है, जिसमें एफआईआर दर्ज की गई थी. पुणे मामले में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दे दी थी, जबकि कोलाबा मामले में राज्य सरकार ने केस आगे बढाने से मना कर दिया था. इसलिए कोर्ट ने आज दोनों एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया है. 2019 में संजय राउत-एकनाथ खडसे के फोन टेपिंग का मामला वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मार्च महीने में सशस्त्र सीमा बल के डायरेक्टर के पद पर नियुक्त की गई हैं. महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार ने केंद्र सरकार से यह सिफारिश की थी. एसएसबी नेपाल और भूटान सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है. इससे पहले वह महाराष्ट्र स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट की अगुवाई कर रही थीं. इस दौरान 2019 में संजय राउत और एकनाथ खडसे ने फोन टेपिंग के आरोप लगाए. उनके खिलाफ दोनों नेताओं ने अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई.अपनी रिपोर्ट में आईपीएस शुक्ला ने लिए थे दो नाम जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) आयुक्त थीं, तो उन्होंने अगस्त 2020 में एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें दो वरिष्ठ राजनेताओं – तत्कालीन गृह मंत्री और “दादा” के नाम से जाने जाने वाले एक अन्य व्यक्ति, और छह आईपीएस अधिकारियों और 23 राज्य सेवा पुलिस अधिकारियों का नाम लिया गया। उनकी रिपोर्ट में कुछ निजी व्यक्तियों के भी नाम शामिल हैं, जिन्होंने पैसे के बदले में और दो राजनेताओं के साथ अपने करीबी संबंधों का उपयोग करके वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और वांछित पोस्टिंग को सुरक्षित करने के लिए बिचौलिए के रूप में काम किया।