महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को 2014 चुनाव के हलफनामे से जुड़े केस में बड़ी राहत मिली है। नागपुर जिला एवं सत्र न्यायालय ने उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मामले में क्लीन चिट दे दी है। खास बात यह है कि जिस एडवोकेट ने फडणवीस के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी, वो ईडी के केस में जेल में बंद है। चुनावी हलफनामे में अपराध की जानकारी छिपाने को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ केस दाखिल हुआ था। तीन साल पहले कोर्ट ने इस मामले में देवेंद्र फडणवीस को समन भी किया था, लेकिन लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट देते हुए बरी कर दिया है। कोई गुप्त उद्देश्य नहीं था नागपुर की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने यह फैसला सुनाया है। चुनावी हलफनामे में एफआईआर की जानकारी हटाने के मामले में नागपुर कोर्ट ने देवेन्द्र फडणवीस को बरी कर दिया। एडवोकेट सतीश उके ने 2014 के अपने चुनावी शपथ पत्र में लंबित आपराधिक जानकारी छुपाने को लेकर देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ शिकायत की थी। नागपुर सेशन कोर्ट में फडणवीस की तरफ से स्पष्टीकरण दिया गया था। इसमें कहा गया था कि लंबित अपराधों का जिक्र हलफनामे में नहीं करने के पीछे कोई गुप्त उद्देश्य नहीं था। फडणवीस की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि हर चुनाव में मुझे मिलने वाले वोटों की संख्या बढ़ती जा रही है। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला 5 सितंबर तक के लिए टाल दिया। इसके बाद कोर्ट ने 8 सितंबर की तारीख तय की थी। कोई ठोस सबूत नहीं है नागपुर की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने 8 सितंबर को फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि 2014 के चुनावी शपथ पत्र में आपराधिक मामलों को उल्लेख नहीं करने का कोई मामला नहीं बनता है। इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं होने के अभाव में फडणवीस को बरी कर दिया। इससे फडणवीस को बड़ी राहत मिली है। फडणवीस की ओर से वरिष्ठ वकील सुबोध धर्माधिकारी अदालत में पेश हुए। देवेंद्र फडणवीस नागपुर जिले के दक्षिण-पश्चिम सीट से विधायक हैं। वे 2009 से लगातार इस सीट से चुने जा रहे हैं। 2019 के चुनाव में देवेंद्र फडणवीस ने 49,344 के वोटों से जीत हासिल की थी।