शहर और जिले के घरों में ‘कंजंक्टिवाइटिस’ यानी आईफ्लू फैल गया है. इस संक्रमण के फैलने का सबसे बड़ा माध्यम स्कूल हैं. अधिकांश घरों में विद्यार्थियों की आंखें सबसे पहले संक्रमित होती हैं और घर का हर सदस्य संक्रमित हो जाता है. आईफ्लू के कारण छात्रों के स्कूल डूब रहे हैं, वहीं अभिभावकों को भी ऑफिस छोड़ना पड़ रहा है.
शहर के कुछ स्कूलों की समीक्षा की गयी तो पता चला कि छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत तक कम हो गयी है.
पर्यावरण में बदलाव के कारण नागपुर में खांसी-सर्दी-जुकाम के बाद ‘आईफ्लू फैल गया है. मेडिकल-मेयो के साथ ही नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास आने वाले 25 फीसदी रोगी ‘आईफ्लू’ के हैं.
‘आईफ्लू’ को गंभीरता से देखते हुए जिलाधिकारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी एवं मनपा स्वास्थ्य प्रणाली से एहतियाती कदम उठाने का अनुरोध किया गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक यह 4 दिन की बीमारी है. अगर समय पर इलाज किया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है. इस संक्रमण का प्रसार स्कूल से लेकर विद्यार्थियों तक बढ़ रहा है. छात्रों के साथ-साथ शिक्षक भी संक्रमित हो रहे हैं. स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की अनुपस्थिति की संख्या बढ़ रही है.
सूक्ष्मजीवों द्वारा फैलने वाला संक्रमण
जनरल फिजिशियन डॉ.अनिल लांडगे के मुताबिक कंजंक्टिवाइटिस अथवा आईफ्लू पर्यावरण में परिवर्तन के कारण सूक्ष्मजीवों द्वारा फैलने वाला संक्रमण है. यह रोग केवल शारीरिक संपर्क और स्राव संपर्क से ही फैल सकता है. छात्रों में इस संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने के पीछे का कारण छात्रों का एक-दूसरे से सटकर बैठना है. विद्यार्थियों के कारण यह बीमारी घरों में फैल रही है.