‘राज्य का मुख्यमंत्री’, इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) तिकड़ी में तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। खबर है कि एनसीपी गुट की तरफ से अजित को बार-बार मुख्यमंत्री बनाए जाने के दावे को लेकर एक ओर जहां सीएम एकनाथ शिंदे कैंप नाराज नजर आ रहा है। वहीं, भाजपा डैमेज कंट्रोल करती नजर आ रही है।
क्या था मामला
एनसीपी कोटे के मंत्री अनिल पाटिल का कहना था, ‘सड़कों से लेकर दिल्ली नेतृत्व तक सभी को लगता है कि अजित पवार को मुख्यमंत्री होना चाहिए। दिल्ली में ये सभी नेता कौन हैं… यह बताने की मुझे जरूरत नहीं है। सभी को लगता है कि दादा अजित को सीएम होना चाहिए।’
साथ ही उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि अजित सीएम बनें। हालांकि, इसके लिए हमें 145 विधायकों की जरूरत होगी और अगर हमारे पास जुट जाते हैं, तो अजित पवार 100 फीसदी सीएम होंगे। अभी हमारे पास नंबर नहीं हैं, इसलिए हम शिंदे सरकार के साथ हैं।’ पाटिल के अलावा एनसीपी कैंप के कई नेता अजित पवार को राज्य के सीएम के तौर पर दिखाने की कोशिश में हैं।
भाजपा नेता फडणवीस ने एनसीपी के नेताओं को इस तरह के बयान जारी नहीं करने की सलाह दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण की तरफ से भी किए गए सीएम पद में बदलाव के दावे का भी फडणवीस ने खंडन किया था। फडणवीस ने कहा था, ‘महायुति का नेता होने के नाते मैं एक चीज साफ कर देना चाहता हूं कि सीएम एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे और इसमें कोई भी बदलाव नहीं होगा।’
फडणवीस ने यह भी बताया कि पवार को पहले ही जानकारी थी कि वह सीएम नहीं बनेंगे। 2 जुलाई को ही अजित ने 8 विधायकों के साथ भाजपा-शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था, जिसके चलते एनसीपी में टूट हो गई थी। उस दौरान अजित को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।