एमआईडीसी पुलिस थाना अंतर्गत साल 2018 में पत्नी के चरित्र पर संदेह कर एक पिता ने अपने ही 2 बच्चों की कुएं में फेंक कर हत्या कर दी थी. इस प्रकरण में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश एस.बी. गावंडे ने आरोपी पिता को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
11 अक्तूबर, 2018 को एमआईडीसी पुलिस ने सरिता मेश्राम की शिकायत पर उसके पति संतोष लक्ष्मण मेश्राम (28) के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था.
संतोष बकरियां चराने का काम करता था और अक्सर घर से बाहर रहता था. सरिता कंपनी में काम कर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही थी. घटना के कुछ दिन पहले ही संतोष पत्नी के साथ रहने आया था. उसे काम पर जाने से रोकने लगा. सरिता ने अपने दोनों बच्चों को परिसर में रहने वाली बहन के घर छोड़कर काम पर चली गई. कुछ देर बाद संतोष अपनी साली के घर पहुंचा. विवाद कर दोनों बच्चों को साथ ले गया. बहन ने सरिता को जानकारी दी.
सरिता और उनके भाई ने संतोष को इसासनी रोड पर देखा. तब भी वह सरिता से विवाद कर रहा था. सरिता ने पुलिस से मदद मांगी. पूछताछ के दौरान संतोष ने दोनों बच्चों को कुएं में फेंकने की जानकारी दी. पुलिस ने दमकल विभाग की मदद से दोनों के शव कुएं से निकाले और संतोष के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया.
तत्कालीन एपीआई सुदर्शन गायकवाड़ ने प्रकरण की जांच कर न्यायालय में आरोपपत्र दायर किया. सरकारी वकील वर्षा साईखेड़कर आरोप सिद्ध करने में कामयाब हुईं और न्यायालय ने संतोष को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई. बतौर पैरवी अधिकारी हेड कांस्टेबल नरेश मन्नेवार और नितिन सिरसाट ने अभियोजन पक्ष का सहयोग किया.