भारत के सविधान द्वारा स्थापित मुलभुत अधिकारों में शिक्षा का अधिकार काफी महत्वपूर्ण है जिसके द्वारा यह स्पष्ट किया गया है की सभी को शिक्षा प्रदान करना सरकार का बंधनकारक कर्त्यव्य है, लेकिन राज्य में ऐसी कई जिला परिषद् की स्कूले है जहा अध्यापक न होने के कारन स्थानीय छात्र शिक्षा से वंचित है , कुछ ऐसा ही मामला काटोल स्थित मलकापुर संभाग से आगे आया है जहा अध्यापक न होने कारण छात्र रोज स्कूल जाकर भी निराशा का मुख लिए उलटे पैर घर आने को मजबूर है जिसके चलते अभिभावक और छात्रों ने शिक्षणाधिकारी से मुलाकात की बात है काटोल तहसील के मलकापुर स्थित जिला परिषद् स्कूल की जहा पिछले तीन सप्ताह से अध्यापक न होने के कारण छात्र रोज स्कूल जाते तो है लेकिन न कोई स्कूल खोलने वाला है न कोई पढाने वाला, एक और पढ़े लिखे युवा शिक्षक की नौकरी के लिए तरस रहे है लेकिन पद भर्ती न होने कारन उनकी डिग्री पेटी में धुल खा रही है और दूसरी और पढ़ने की आशा लिए आ रही नन्ही उम्मीद की निगाहे अध्यापक न होने के कारन उलटे पैर लौटने के लिए मजबूर है, मुझे पढ़ना है कुछ बनना है ऐसी करूँन पुकार लिए नन्हे छात्र अभिभावकों के साथ जिला परिषद कार्यालय पर दरख्वास लिए शिक्षाधिकारी से मिलेअभिभावक अपने बच्चो को उन्नति के शिखर तक पहुंचाने के लिए खून का पानी तक कर देते है लेकिन ऐसी प्ररिस्थितिया उन्हें कई बार घुटने टेकने में मजबूर कर देती है, मलकापुर के इस जिल्हा परिषद् स्कूल में २००८ से २०२३ तक एक अध्यापक थे लेकिन वह ३० जून को सेवा निवृत्त हो गए, उसके बाद से यह सिलसिला शुरू हुआ जहा बच्चे स्कूल जाते और फिर वापिस लौट आते जिसके चलते अब हमारे बच्चो का क्या होगा ऐसा करून सवाल अभिभावक ने प्रशासन से किया है इस परिस्थिति के चलते अभिभावक और छात्रों ने जिला परिषद् नागपुर का दरवाजा खटखटाया और वह शिक्षणाधिकारी रोहिनी कुम्भार से मिले जहा उन्होंने जानकारी दी की केंद्र में शिक्षकों की कमी होने के कारन यह परिस्थिति उत्पन्न हो रही है, इस मामले में काटोल के गट शिक्षणाधिकारी से बात कर इस स्थिति का प्रबंधन किया जा रहा है ऐसी आशा दर्शी प्रतिक्रिया शिक्षाधिकारी ने दी है राज्य की ऐसी प्रस्थतिओंके बिच आखिर कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया यह सवालिया निशान ,मौजूद हो रहा है