पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने 9 साल में इंडिया को 11 वीं अर्थव्यवस्था से 5 वीं बड़ी इकॉनॉमी बनाने का किया कमाल, अब दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनॉमी बनने की ओर मिला ली है ताल. आईएमएफ के मुताबिक आज भारत से आगे सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं. कुछ जानकारों के मुताबिक 2030 तक भारत जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ देगा और तीसरी बड़ी इकॉनॉमी बन जाएगा. परचेजिंग पावर में इंडिया आज भी तीसरे नंबर पर है.
मोदी सरकार से पहले भारत 11 वीं बड़ी अर्थव्यवस्था थी और पांचवे नंबर पर यूके था. आज वो कहां और हम कहां? मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में आज भारत के कदमों में है सारा जहां. वो चाहे सॉफ्टवेयर के फील्ड में हो, दवाइयों के निर्माण और निर्यात के क्षेत्र में हो, स्पेस साइंस की बात हो या हथियारों के आयातक से निर्यातक बनने का विकास हो, दुनिया में तीसरे नंबर का स्टार्टअप सिस्टम तैयार करने का मामला हो, हर जगह भारत अपनी ताकत और तेज दिखा रहा है. ये सब आखिर हुआ कैसे, आइए करते हैं पड़ताल. यह सच है कि पंडित जवाहरलाल नेहरु को बड़े उद्योगों की जरूरतों की समझ थी. कांग्रेस सरकार में देश में तकनीकों के विकास के लिए आईआईटी, इसरो, भाभा एटॉमिक रिसर्च की शुरुआत हुई. राजीव गांधी के कार्यकाल में देश में कंप्यूटर युग शुरू हुआ. मनमोहन सिंह के दौर में देश की इकॉनॉमी का दरवाजा दुनिया के निवेश के लिए खोला, लेकिन एक हिचक के साथ, संकोच के साथ, रुक-रुक कर आगे बढ़ते हुए देश को पिछड़ा से विकासशील तो बनाया जा सकता था, दूसरों पर निर्भर होने की बजाए आत्मनिर्भर तो हुआ जा सकता था लेकिन इस तरीके और तेवर से देश को एक विश्वशक्ति नहीं बनाया जा सकता था, विकसित नहीं बनाया जा सकता था.इसके लिए जरूरत थी स्पीड और स्केल की. इसकी अहमियत मोदी सरकार ने समझी. मोदी सरकार ने विकास को रफ्तार दी, तेजी से देश को डिजिटलाइज किया. जीएसटी और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था के लीकेज को खत्म कर इसे अनुशासनबद्ध किया. निर्णय लेने में लेट-लतीफी खत्म की. सरकारी कामों में लाल फीताशाही बंद की. तेजी से फैसला, तेजी से अमल ने देश की तस्वीरें बदलनी शुरू कर दी. देश में बाबू कल्चर खत्म किया और कॉरपोरेट कल्चर शुरू कर देश की तकदीर बदल दी.मोदीराज से पहले स्कूलों के पाठ्यपुस्तकों में एक बात जोर देकर पढ़ाई जाती थी. कहा जाता था देश इसलिए गरीब है क्योंकि देश में बढ़ती आबादी की समस्या विस्फोटक है. बात गलत नहीं थी. आज आबादी के लिहाज से देश दूसरे से पहले नंबर पर आ गया है, यह कोई अच्छी बात नहीं है. लेकिन मोदी सरकार ने इस नकारात्मकता को भी सकारात्मकता में बदला. नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने यह ध्यान दिलाया कि भारत दुनिया का सबसे नौजवान देश है. यहां कि नौजवान आबादी तय कर ले तो समस्या संसाधन का रूप गढ़ सकती है. विपत्ति क्रांति में तब्दील हो सकती है.मेक इन इंडिया, इज ऑफ डूइंग बिजनेस; हर तरफ प्रोग्रेस ही प्रोग्रेस
फिर शुरू हुआ स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया का प्रोग्राम. आबादी को संसाधन बनाते हुए भारत ने दुनिया से कहा कि वो दिन लद गए जब भारत को सिर्फ बाजार समझा जाता था. भारत अगर बड़ा बाजार है तो भारत में बनने वाला माल और कारोबार भी यहीं करना पड़ेगा. कारखाने और फैक्ट्रियां भारत में ही माल बनाएंगी, तभी यहां बेच पाएंगी. इस तरह शुरू हुआ मेक इन इंडिया, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्किल इंडिया और हर तरह से प्रोग्रेस का दौर.