महाराष्ट्र में एक तरफ एक साल से राजनीतिक संकट चल रहा है. वहीं दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी के अहम नेता अजित पवार ने दूसरी लाइन पकड़ ली है. उद्धव ठाकरे द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी कोई जरूरत ही नहीं. यह कोई अटल विहारी वाजपेयी का जमाना थोड़े हैं. इससे पहले भी अजित पवार ने एमवीए की लाइन से अलग हट कर बयान दिया है.
अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से ठीक पहले उन्होंने कहा था कि कोर्ट जो भी निर्णय दे, महाराष्ट्र सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार का इस्तीफा मांग रहे हैं. यह गलत है और इसकी कोई जरूरत नहीं. अजित पवार नेकहा कोई सपने में भी ना सोचे कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस इस्तीफा देने वाले हैं.
यह कोई पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जमाना नहीं है. उस जमाने और आज के जमाने में बहुत फर्क आ चुका है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे समेत एमवीए के तमाम नेता मौजूदा सरकार पर हमलावर हैं. वहीं एमवीए में रहते हुए अजित पवार लगातार दूसरी चाल चलते नजर आ रहे हैं. दूसरी ओर उद्धव ठाकरे ने एक और बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा कि अब विधानसभा स्पीकर को एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों की अयोग्यता पर जल्द से जल्द निर्णय ले लेना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार निश्चित रूप से स्पीकर राहुल नार्वेकर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर निष्पक्ष फैसला करेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को ही अपना फैसला सुनाया है. इस फैसले पर उद्धव ग्रुप कोर्ट की उस टिप्पणी से खुश है कि उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं दिए होते तो उन्हें दोबारा से सीएम बनाया जा सकता था
पवार की बयान से शिंदे गुट और बीजेपी खुश
चूंकि उन्होंने खुद पद छोड़ा था, इसलिए उनकी सरकार बहाल नहीं हो सकती. इसी प्वाइंट पर शिंदे गुट और बीजेपी भी खुश है कि उन्हें लाइफ लाइन मिल गई है. उन्हें पूरा भरोसा है कि विधानसभा अध्यक्ष पार्टी से जुड़े होने की वजह से खिलाफ में फैसला नहीं देंगे.