महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर (सीपी) परमबीर सिंह का निलंबन आदेश वापस ले लिया है। सरकार ने उनके खिलाफ लगे सभी आरोप भी हटा लिए हैं। सरकार ने कहा है कि सस्पेंशन पीरियड को आॅन ड्यूटी माना जाएगा। राज्य सरकार ने दिसंबर 2021 में परमबीर सिंह को सस्पेंड किया था। परमबीर 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि सीएटी (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) ने एक फैसले में परमबीर सिंह की विभागीय जांच को गलत बताया था और उसे बंद करने का आदेश दिया था। सीएटी ने उनके सस्पेंशन को भी गलत बताया और आदेश वापस लेने को कहा। उसी के मुताबिक यह फैसला लिया गया है।मामले को किया गया बंद
सरकार के संयुक्त सचिव वेंकटेश भट द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया, ‘अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 8 के तहत परम बीर सिंह, आईपीएस (सेवानिवृत्त) के खिलाफ जारी दिनांक 02/12/2021 के आरोपों का ज्ञापन वापस लिया जा रहा है और उक्त मामले को बंद किया जा रहा है।’परमबीर सिंह का पूरा मामला
25 फरवरी 2021 को बिजनेस टायकून मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के घर के बाहर एक वाहन में धमाका हुआ था। इस केस में पुलिस अधिकारी सचिव वझे को गिरफ्तार किया गया था। केस की जांच के दौरान मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए इकट्ठा करने देने के लिए कहा था। परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में ये आरोप लगाए थे।
17 मार्च, 2021 को परमबीर को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया गया था। उन्हें महाराष्ट्र राज्य होम गार्ड का जनरल कमांडर बनाया गया था।2021 में तब की उद्धव सरकार ने परमबीर के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की। महाराष्ट्र गृह विभाग ने कहा कि सिंह के खिलाफ वर्तमान विभागीय कार्यवाही में आठ आरोप लगाए गए थे।
सिंह ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 16 सितंबर, 2021 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने राज्य के गृह मंत्रालय द्वारा कथित रूप से सेवा नियमों तोड़ने और भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए जारी किए गए दो जांच आदेशों को चुनौती देने वाली उनकी दलीलों को खारिज कर दिया था।
दिसंबर 2021 को महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने परमबीर को सस्पेंड कर दिया था।जबरन वसूली का भी आरोप
परम बीर सिंह पर जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे थे। परमबीर सिंह और छह पुलिस अधिकारियों समेत 28 अन्य के खिलाफ जुलाई 2021 में रंगदारी का मामला दर्ज किया गया था। इन पर एक बिल्डर से पैसे ऐंठने का आरोप है।
परमबीर सिंह ने तन्ना से 1.25 करोड़ रुपए वसूले
शिकायतकर्ता केतन तन्ना ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2018 से फरवरी 2019 तक ठाणे पुलिस कमिश्नर के रूप में परमबीर सिंह ने उनसे 1.25 करोड़ रुपए वसूले थे। तन्ना ने आरोप लगाया कि परम बीर सिंह ने उन्हें गंभीर क्रिमिनल केसेस में फंसाने की धमकी दी थी।
9 लाख की वसूली के केस में भगोड़े घोषित हुए परमबीर
मुंबई के एक बार ओनर विमल अग्रवाल ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह, सचिन वाझे, सुमीत सिंह उर्फ चिंटू, अल्पेश पटेल, विनय सिंह उर्फ बबलू और रियाज भाटी पर उनसे 9 लाख वसूलने का केस दर्ज करवाया था। इस मामले में गोरेगांव पुलिस ने कई बार परमबीर को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। इसके बाद पहले उनके खिलाफ जमानती और फिर गैर जमानती वारंट जारी हुआ था।
ठाणे पुलिस ने जारी किया था लुकआउट नोटिस
मुंबई की ठाणे पुलिस ने जुलाई 2021 महीने में परमबीर सिंह के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था। वह पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उनके द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गठित चांदीवाल आयोग के सामने पेश नहीं हो रहे थे। जिसके बाद पहले उनके खिलाफ 5 फिर 25 और फिर 50 हजार का जुमार्ना लगाया था। इसके बावजूद जब परमबीर पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी हुआ था।