शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ उद्धव ठाकरे की शिवसेना महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा है। फिर भी बीते कुछ दिनों से शिवसेना सीधे शरद पवार पर ही हमला बोल रही है। अब उद्धव ठाकरे शिवसेना ने शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा है कि वह अपना उत्तराधिकारी तैयार करने में असफल रहे हैं।
सामना में लिखे एक आर्टिकल में सोमवार को शिवसेना ने कहा कि शरद पवार अपना कोई उत्तराधिकारी नहीं तैयार कर सके, जो उनके बाद पार्टी की कमान संभाल पाए। हालांकि इसी लेख में शरद पवार के इस्तीफे वाले दांव को मास्टरस्ट्रोक बताते हुए कहा गया है कि इससे भाजपा का गेमप्लान खराब हो गया, जिसके जरिए वह पार्टी तोड़ना चाहती थी।
इस अखबार के संपादक संजय राउत हैं, जो शिवसेना उद्धव ठाकरे के राज्यसभा सांसद भी हैं। अखबार ने संपादकीय में लिखा, ‘शरद पवार राजनीति के वट वृक्ष की तरह हैं। वह कांग्रेस से अलग हुए थे और अपनी पार्टी बना ली थी। उन्होंने अपनी पार्टी को आगे बढ़ाया और उसकी ताकत महसूस की गई। लेकिन वह अपने बाद में कोई पार्टी को संभाल सके, ऐसा उत्तराधिकारी तैयार करने में असफल रहे। पार्टी की महाराष्ट्र में जड़ें रही हैं।’ शिवसेना ने लिखा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि शरद पवार राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। उनकी बातों का राष्ट्रीय राजनीति में महत्व रहा है।
लेकिन वह अपने बाद कोई पार्टी को संभाले, ऐसा उत्तराधिकारी नहीं तैयार कर पाए हैं। यही वजह है कि जब उन्होंने इस्तीफा देने की बात कही तो पार्टी में हलचल मच गई। यहां तक कि एक साधारण कार्यकर्ता भी पार्टी के भविष्य को लेकर परेशान हो गया। अखबार ने लिखा कि पवार ने जब इस्तीफे का ऐलान किया तो उससे राष्ट्रीय राजनीति में सनसनी देखी गई। हालांकि राष्ट्रीय राजनीति से ज्यादा इसका प्रभाव उनकी अपनी पार्टी पर ही होता। इसकी वजह यह है कि शरद पवार का अर्थ नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से है।
सामना के संपादकीय में लिखा, ‘भाजपा ने शिवसेना को तोड़ा और ऐसा ही प्लान एनसीपी को लेकर भी था। कुछ लोग बैग लेकर बोर्डिंग के लिए तैयार थे। लेकिन शरद पवार के मास्टरस्ट्रोक ने सारे प्लान ही फेल कर दिए।’
पवार की किताब पर भी बिफर गए थे राउत
यह पहला मौका नहीं है, जब शिवसेना ने सीधे शरद पवार पर ही सवाल उठाए हैं। इससे पहले पवार की आत्मकथा में उद्धव के सीएम पद से इस्तीफा देने पर सवाल उठाए जाने पर भी शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। राउत ने कहा था कि शरद पवार की किताब में उद्धव ठाकरे के बारे में सही बातें नहीं लिखी गई हैं। हालांकि इस्तीफे के दांव से पार्टी टूटने से बचने की बात करते हुए तारीफ भी की गई है।