नागपुर जेल का आदर्श वाक्य ‘सुधार और पुनर्वास’ है. इसके चलते ही जेल में बंद कैदियों के लिए विभिन्न गतिविधियों भी चलाई जाती हैं. जेल से छूटने के बाद कैदियों के पुनर्वास के उद्देश्य से विभाग ने उनके लिए शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाई है.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यापीठ की ओर से वर्ष 2009 में ही नागपुर सेंट्रल जेल में विशेष अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई थी. इस अध्ययन केंद्र में कैदियों के लिए बीए, एमए (समाजशास्त्र), एमए (राज्य शास्त्र), एमए (इंग्लिश) और एमपीए पाठ्यक्रम चलाया जाता है. साल 2022 के सत्र में 6 कैदियों ने बीए और 2 कैदियों ने एमए की पढ़ाई पूरी की. इसके साथ ही एक कैदी ने एमबीए का डिप्लोमा कोर्स भी पूरा किया.
गुरुवार को उनका दीक्षांत समारोह जेल में आयोजित किया गया. मातृसेवा संघ समाजकार्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. केशव वालके और नागपुर विद्यापीठ के इतिहास विभाग के प्रमुख डॉ. शाम कोरेटी द्वारा उन्हें उपाधियों का वितरण किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विदर्भ भूषण से सम्मानित डॉ. आर.बी. ठाकरे ने की.
जेल में बंद कैदियों का मार्गदर्शन करते हुए डॉ. वालके ने प्यासे कौवे की कहानी का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि सभी कैदियों को उपलब्ध शैक्षिक रियायतों का लाभ उठाना सीखना चाहिए. डॉ. कोरेटी ने भी अकादमिक रूप से प्रगति करने और अपना सर्वश्रेष्ठ हासिल करने के लिए इन कैदियों का मार्गदर्शन किया. कार्यक्रम के अध्यक्ष ठाकरे ने शिक्षा के बारे में प्रेरणादायी मार्गदर्शन दिया. उक्त समारोह के आयोजक इग्नू के विभागीय संचालक डॉ. पी. शिवस्वरूप ने कैदियों को केंद्र में उपलब्ध विभिन्न शैक्षिक पाठ्यक्रमों की जानकारी दी.
कार्यक्रम में जेल अधीक्षक अनूपकुमार कुमारे, उपाधीक्षक दीपा आगे, वरिष्ठ जेल अधिकारी नरेंद्रकुमार अहिरे, दयावंत कालबांडे और राजेश वासनिक आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन जेल के शिक्षक लक्ष्मण साल्वे ने किया.