शरद पवार सत्ता में आते हैं, समझ में नहीं! जो लोग शरद पवार के बारे में यह राय रख रहे हैं कि शरद पवार 2024 में विपक्षी गठबंधन में बने रहने वाले हैं, वे बहुत बड़ी गलती करने वाले हैं. जो यह राय रखते हैं कि शरद पवार बीजेपी के साथ जाने वाले हैं, वे भी शरद पवार के बारे में गलतफहमी पाले हैं. शरद पवार के साए को भी पता नहीं होता है कि वे अगले पल क्या करने वाले हैं. शरद पवार को यह जरूर पता होता है कि सत्ता के बिना वे नहीं रह सकते.
सत्ता जिधर दिखे, पवार उधर पलट सकते हैं. इसलिए शरद पवार हैं किस तरफ राजनीतिक पंडितों ये अंदाज लगाना छोड़ दें, क्योंकि शरद पवार को खुद अपनी आगे की राजनीति का अंदाज नहीं होता है. वे हवाओं के रुख को पकड़ते हैं और बहती हवाओं के साथ चल पड़ते हैं. अब जो खबर आ रही है वो यह कि 1 मई को मुंबई में होने वाली महाविकास आघाड़ी की सभा को शरद पवार संबोधित नहीं करेंगे. इसके बाद यह भी खबर आ रही है कि महाविकास आघाड़ी की किसी भी आगामी संयुक्त रैली को वे संबोधित नहीं करेंगे. 14 मई को महाविकास आघाड़ी की पुणे में सभा होने वाली थी. अब उसकी तारीख भी आगे बढ़ाई जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं.
सत्ता नहीं साथ, तो पवार उसके साथ नहीं
एक हफ्ते पहले शरद पवार से मिलने उद्धव ठाकरे और संजय राउत उनके निवास पर पहुंचे थे. तब खबरें तेजी से सामने आ रही थीं कि अजित पवार बीजेपी के संपर्क में हैं और अगर एकनाथ शिंदे समेत अगर शिवसेना के 16 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहरा दिया तो वे बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं. इसके बदले बीजेपी शरद पवार की पार्टी एनसीपी को सीएम पद का ऑफर दे सकती है. शिंदे गुट के नेता नरेश म्हस्के ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे ने शरद पवार को यह कह कर महाविकास आघाड़ी के आर्किटेक्ट और गाइड बने रहने के लिए मनाया कि महाविकास आघाड़ी अगर सत्ता में आती है तो वे मुख्यमंत्री पद का दावा नहीं करेंगे.
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कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन सोल्यूशन का पता नहीं…
इसके बाद संजय राउत ने एक आर्टिकल लिखा कि शरद पवार ने उनसे कहा था कि उनके परिवार पर बीजेपी के साथ जाने का दबाव है. संजय राउत ने यह भी लिखा कि शरद पवार ने कहा कि एनसीपी का बीजेपी से गठबंधन नहीं होने जा रहा है. अगर व्यक्तिगत रूप से कुछ लोग जाना चाहें तो जा सकते हैं. इसके बाद शरद पवार की ओर से यह दिखाने की कोशिश हुई कि अजित पवार उनके साथ बगावत कर सकते हैं.