मनपा क्षेत्र के विभिन्न पेड़ों की गणना नागपुर मनपा के उद्यान विभाग के माध्यम से की जा रही है. इस अभियान की शुरुआत सोमवार को मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने 262 साल पुराने पीपल के पेड़ की पूजा कर की. इस अवसर मनपा अपर आयुक्त राम जोशी ने परिसर में पौधारोपन किया.
शहर में वृक्षों की गणना महाराष्ट्र (शहरी) वृक्षारोपण अधिनियम के तहत की जाती है. तदनुसार, मनपा क्षेत्र में वृक्षों की गणना शुरू की गई है. सबसे पहले मनपा आयुक्त के कार्यालय के समीप चिटनवीस के स्थान पर स्थित शहर के 262 वर्ष पुराने पिंपला के पेड़ का पूजन किया गया. आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़ बहुत जरूरी हैं और शहर के पर्यावरण के विकास के लिए पेड़ों का संरक्षण जरूरी है.
इसके लिए शहर में पेड़ों की गिनती जरूरी है. इससे पहले मनपा द्वारा वर्ष 2011 में प्रथम वृक्ष गणना की गई थी, जिसके अनुसार नागपुर शहर में वृक्षों की संख्या 21,43,838 है, वर्तमान में नागपुर में वृक्षों की संख्या 25 लाख से अधिक होने का अनुमान है. नागपुर शहर का विस्तार 222 वर्ग किमी के क्षेत्र में है, नागपुर शहर की नई वार्ड संरचना के अनुसार और इसमें शामिल हुडकेश्वर और नरसला आदि गांवों को मिलाकर नई वृक्ष गणना की जाएगी. उसके बाद आज से पेड़ों की गिनती शुरू कर दी गई है और इस साल के पेड़ों की गिनती बहुत जरूरी है.
इस वर्ष मनपा द्वारा वृक्षों की गणना के लिए अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. जीआईएस और जीपीएस पद्धति से वृक्षों की गणना की जाएगी. इसके अलावा हेरिटेज वृक्षों की संख्या, अनुमानित आयु, फोटोग्राफ आदि की जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कराई जाएगी. इससे पर्यावरण अध्ययन, छात्रों, पेशेवरों आदि के साथ-साथ आम नागरिकों को भी लाभ होगा. इस कार्य में करीब 11 माह का समय लगेगा. आयुक्त ने नागरिकों से इस कार्य में सहयोग करने की अपील की है.
इस अवसर पर उद्यान अधीक्षक अमोल छोरपागर, सहायक आयुक्त प्रकाश वरदे, उप अभियंता सुनील गजभिए, पंडित उकेबांते, संजय गुजर, टेराकॉन इकोटेक प्रा. लिमिटेड के प्रमुख अशोक जैन सहित मनपा के अधिकारी एवं कर्मचारी मुख्य रूप से उपस्थित थे.
प्रत्येक पेड़ों को मिलेगा एक यूनिक आईडी
इस कार्य के लिए टेराकोन इकोटेक प्रा. लिमिटेड को नियुक्त किया गया है, इस कंपनी के प्रमुख अशोक जैन ने बताया कि पेड़ के मराठी, अंग्रेजी और वानस्पतिक नाम समेत कुल 34 तरह की जानकारी जुटाई जाएगी. साथ ही हर पेड़ को एक यूनिक आईडी दी जाएगी.