देवरी के काकोड़ी परिसर में पशु तस्करों का बड़ा बोलबाला है. यह मार्ग पुलिस से बचने के लिए पशुओं को बूचड़खाने तक ले जाने के लिए सुविधाजनक है. इस रास्ते से हमेशा पशुओं को ट्रकों में भरकर ले जाया जाता है. देवरी से 40 से 45 किमी. दूर नक्सल प्रभावित, आदिवासी बहुल काकोड़ी क्षेत्र में पशु तस्करों की बड़ी आबादी है. यह मार्ग पुलिस से बचने के लिए पशुओं को बूचड़खाने तक ले जाने के लिए सुविधाजनक है. इस रास्ते से हमेशा पशुओं को ट्रकों में भरकर ले जाया जाता है. तीन साल पहले पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत पशुओं के साथ आरोपियों को पकड़ लिया था. उसके बाद कार्रवाई के डर से कुछ दिनों के लिए तस्करी बंद कर दी गई. लेकिन कुछ दिनों से तस्करों ने फिर सिर उठाया है. ककोड़ी के रास्ते पशुओं को कत्लखाने ले जाया जा रहा है. इस इलाके में पिछले आठ दिनों से तस्करों ने फिर से अपना कूच कर लिया है. मांग की जा रही है कि छत्तीसगढ़ राज्य से आने वाले तस्करों पर इस क्षेत्र से अंकुश लगाया जाए. भारी व बड़े वाहनों को रोकने के लिए सड़क पर लोहे के बैरिगेट लगाए गए थे. जिससे जानवरों से लदे ट्रक नहीं जा सकते थे. लेकिन तस्करों ने उन्हें भी तोड़कर पशुओं को कत्लखाने ले जाना शुरू कर दिया है. गौ प्रेमियों ने यह भी मांग की है कि उन लोहे के बैरिगेट को फिर से लगाया जाए.