महाराष्ट्र के चंद्रपुर के ब्रम्हपुरी तहसील के खेडमक्ता गांव में रहने वाले गजानन मानकर इनके घर में शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदने का काम शुरू था , करीब सात फीट गहरा गड्ढा खोदा गया तो काला पत्थर नुमा कोई चीज नजर आई, जब पत्थर को बाहर निकाला गया तो सभी हैरान रह गए, यह सिर्फ एक पत्थर नहीं बल्कि भगवान कृष्ण की एक सुंदर मूर्ति थी, मूर्ति मिलने की जानकारी गांव में फैलते ही ग्रामीण मूर्ति को देखने दौड़ पड़े, ग्रामीणों ने मूर्ति का दुग्ध अभिषेक कर मूर्ति की पूजा की.इतिहास के जनकार अशोक सिंह ठाकुर ने बताया कि यह मूर्ति 12वीं शताब्दी की है और चालुक्य काल की है, इस प्रकार से ये भगवान कृष्ण की मूर्ति मिलने का यह पहला उदाहरण है, ये मूर्ति दक्षिणी शैली की है, मूर्ति काले पत्थर पर उकेरी गई है, श्री कृष्ण के सिर पर करंडक मुकुट धारण किया है, और हाथ में बांसुरी है, मंदिर के दोनों ओर दक्षिणनाट्य शैली में नक्काशी की गई है, ऐसी सम्भावना है किसी ने ये मूर्ति दक्षिण से बनवाकर चंद्रपुर जिले में लाई हो और किसी कारन से जमीन में दफना दी हो, खुदाई के दौरान मूर्ति के आलावा वहा मंदिर होने के कोई अवशेष नहीं मिले है इसीलिए चालुक्य काल में इस क्षेत्र में श्रीकृष्ण का मंदिर रहा हो ऐसी सम्भावना फ़िलहाल नहीं दिख रही है यदि इस क्षेत्र में और शोध किया जाए तो इतिहास पर प्रकाश डाला जा सकता है।चंद्रपुर जिले को ऐतिहासिक धरोहरों का वरदान प्राप्त है, चंद्रपुर में पाषाण युग के कई अवशेष पाए जाते हैं जिले में मौर्य, सातवाहन, वाकाटक, राष्ट्रकूट, चालुक्य, नागा, परमार, गोंड, भोसले शासन करते थे। जिले में कई खूबसूरत इमारतें आज भी इतिहास की गवाही दे रही हैं।अब चंद्रपुर के इतिहास में एक नया इतिहास जुड़ गया है, जिले में पहली बार श्रीकृष्ण की मूर्ति मिली है। मिली मूर्ति चालुक्य काल की है और बारहवीं शताब्दी की है, मूर्ति मिलने के बाद गांव में खुशी का माहौल है।