पारशिवनी तहसील में स्थापित एमआयडीसी जो की वर्षों से बेरोजगारों को चिढाने का कार्य कर रही हैं, तथा बेरोजगारों को लेकर लाख दावे प्रतिदावें होने के बाद भी भी क्षेत्र में बेरोजगारी का प्रमाण सतत बढता जा रहा हैं, जिसके कारण ही कन्हान थाना अपराधों को लेकर नित नए आयाम कायम करता जा रहा हैं, फिर भी लाख टके का सवाल यहीं हैं, कि बढते अपराधों एवं बेरोजगारी को लेकर वास्तव में जिम्मेदार कौन हैं.
कन्हान यह किसी समय का औद्योगिक क्षेत्र रहा हैं. जिसमें राजनितीक हस्ताक्षेंप कम होने के साथ शिक्षा से दूरी नागरिकों की मजबूरी रही हैं, तथा शिक्षा का कम प्रमाण एवं शरीरिक श्रम की अधिकत्ता के कारण रोजगार की बडे पैमाने पर उपल्बधता ने नागरिकों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पलायन के लिए प्रेरित किया, जिसके कारण कन्हान स्थित विविध स्थापित कंपनियों में नागरिकों को रोजगार मिलने लगा, जिसमें रोजगार को लेकर वेकोलि सहित हिंदुस्तान युनीलिव्हर, खंडेलवाल फेरो आलॅय सहित अन्य बडी कंपनियों का बडे पैमाने पर सहभाग रहा.राज्य सरकारों सहित केंद्र के द्वारा शिक्षा को लेकर बढावा देने के साथ ही नागरिकों में शिक्षा का स्तर बढने लगा, तो नागरिक अपने अधिकारों को लेकर सजग होने लगे, यहीं से नेतागिरी का भी उदय होने लगा.प्रारंभिक स्तर पर कुछ नेताओं के कारण जहां नागरिकों में नेता के द्वारा जागरूकता लाने का प्रयास किया जाने लगा, वहीं पर शासन प्रशासन के लाख दावों के बीच धीरे धीर जनसंख्या में भी बढोत्तरी होने लगी. यहीं से बेरोजगारी नामक दैत्य का धीरे_धीरे उदय होने लगा. जबकि शिक्षा को लेकर जहां कंपनियों को तज्ञ अधिकारियों एवं श्रमिकों की आवश्क्ता होने लगी, वहीं पर कंपनियों को विश्व स्तर की उत्पादन क्षमता को लेकर प्रतिस्पर्धा में कायम रहने तथा कम लागत में अधिक उत्पादन करने की प्रेरणा मिलने के कारण हमारी शिक्षा निती कहीं ना कहीं कमजोर होने लगी. एक ओर जहां क्षेत्र में तकनिकी एवं व्यवसायिक शिक्षा संस्थान को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधिओं के द्वारा उदासिनता दिखाई गई, वहीं पर स्थानीय बेरोजगारों की फौज तैयार होने लगी, तथा जिस समय तकनिकी एवं व्यवसायिक शिक्षा का जोर चल रहा था, उस समय स्थानीय स्तर पर बीए, बी.काम, बीएससी को ही शिक्षा माना जाने लगा. स्थानीय स्तर पर 11.5 जिला परिषद सर्कल वाला रामटेक विधानसभा एवं 1800 से अधिक गावों वाला रामटेक लोकसभा में पिछले कई दशक से पार्टी विशेष का कब्जा रहा हैं. यहीं कारण रहा हैं, कि आज भी नाम मात्र आयटीआय को छोडकर स्थानीय स्तर पर तकनिकी एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम का आभाव खलता जा रहा हैं. जिसके कारण क्षेत्र से बौद्विक पलायन होने के क्षेत्र में रोजगार का आभाव सतत बढता जा रहा हैं. दूसरे छोर पर ध्यान देने योग्य तथ्य यह हैं, नेतागिरी को लेकर होने वाले आंदोलन में जहां युवाओं की भरमार होती हैं, वहीं पर बेरोजगारी को लेकर कोई भी आंदोलन क्यों नहीं होते, यह भी अपने आप में खोज का विषय हैं, जिसकों स्थानीय बेरोजगार युवा शायद समझ नहीं पाता हैं. ज्ञात हो की जहां से बेरोजगारी का उदय होता हैं, वहीं से अपराध का भी उदय होता हैं. यहीं कारण हैं, कि कन्हान थाने में अपराधों को लेकर आकडों का निरीक्षण करने पर पता चलता हैं, कि अपराधियों का आयु वर्ग 16 से 30 के बीच में होता हैं.इस संदर्भ में ध्यान देने योग्य तथ्य यह हैं, कि केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा बेरोजगारों को लेकर चलाई जाने वाली योजनाओं से मिलने वाली राशि एक उद्योग को खडा करने में कितनी प्रभावी होती हैं, यह भी शासन प्रशासन को ज्ञात हैं, यहीं कारण की शासन के द्वारा दी जाने वाली अधिकत्तर राशियां डुबत खाते में जाती हैं. वर्तमान समय में राजनिती सब कुछ नहीं हैं,परंतु खुदा की कसम राजनिती के बिना भी कुछ नहीं हैं.