वेकोलि नागपुर ऐरिया अंर्तगत आने वाले गोंडेगांव प्रोजेक्ट को वेकोलि के अधिकारी एवं ठेकेदार मिलकर शासन को तगडा चुना लगा रहें हैं। तथा इस लूटतंत्र में क्या वेकोलि मुख्यमहाप्रबंधक आंख मूंदकर बैठे हैं। या इस लूटतंत्र पर रोक लगाने का प्रयास करेंगे, ऐसी वेकोलि के कर्मचारियों में चर्चा हैं। वेकोलि गोंडेगांव प्रोजेक्ट के द्वारा बेहतर किस्म का कोयला उत्पादन किया जाता हैं। इस कोयले को क्रसिंग करके सीएचपी से ट्रकों में भरकर संबंधित स्थान में कोयला भेजने का नियम निर्धारित हैं। यह नियम वेकोलि अध्यक्ष सह प्रबंधक निदेशक मनोज कुमार अग्रवाल से लेकर वेकोलि मुख्यमहाप्रबंधक सुनील कुमार से लेकर वेकोलि महाप्रबंधक कोल उत्पादन एवं ऑपरेशन तपन श्रीवास्तव तक को मालुम हैं। कि कोयले को क्रसिंग करके 100 एमएम या आवश्क्ता अनुसार कोयले के साईज को छोट बडा कर सीएचपी से ट्रकों में कोयला भरा जाना चाहिए। इस पर गोंडेगांव प्रोजेक्ट के उपक्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र ठाकरे को शायद यह नियम पता नहीं हैं। या फिर राजेंद्र ठाकरे जानबूझ कर नियमों की अनदेखी कर वेकोलि को घाटे में लाने का प्रयास कर रहें हैं। ज्ञात हो की सीएचपी से भरे जाने वाले कोयले की जगह गोंडेगांव प्रोजेक्ट के कोयला यार्ड से सीधे ट्रकों में कोयला भरा जा रहा हैं। जो की सरसर नियमों की अनदेखी हैं.ज्ञात हो की क्रसिंग वाला कोयला जो सीएचपी से भरा जाता हैं, उस कोयले का मुल्य सभी टैक्स सहित 2 हजार 5 सौ पच्चासी रूपए प्रति टन होता हैं, जबकि कोयला यार्ड से जो कोयला ट्रकों में सीधे भरा जाता हैं, वह कोयला लगभग 10 से 12 हजार रूपए टन मुल्य का होता हैं। इसमें यह सवाल उठता हैं, कि वेकोलि के अधिकारी देश की अमुल्य धरोहर को इस तरह किसके इसारे पर लुटवा रहें हैं, यह समझ के परे हैं। वेकोलि गोंडेगांव प्रोजेक्ट में यह क्रम काफी समय से चल रहा था। परंतु 1 नवंबर 2022 को सुबह 11 बजे के लगभग ट्रिपटेलर क्रमांक MH 40-CD 8875 कोयला यार्ड के भीतर पलट गया, जिसकों कोयला यार्ड से जल्दी से जल्दी बाहर निकलने के लिए उपक्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र ठाकरे ने एडीचोटी का जोर लगा दिया। इस ट्रिपटेलर को यार्ड से बाहर करने के लिए वेकोलि की मशनरी का जमकर प्रयोग किया गया। जिसके बाद ट्रिपटेलर के सुपरवाईजर के द्वारा हौज को बिना वेकोलि सुरक्षा कर्मचारियों की अनुमति के वेकोलि सुरक्षा सीमा के बाहर ले जाया गया। यह ट्रिपटेलर जब 1 नंवबर को गोंडेगांव वेकोलि प्रबंधन के द्वारा कोयला परिवहन के लिए पंजीबद्व किया गया हैं, तो फिर यह ट्रिपटेलर इतने दिनों तक क्या अवैध रूप से कोयला परिवहन कर रहा था। इस घटना को लेकर इंटक, कोयला श्रमिक सभा, बीएमएस, सीटु, आयटक के श्रमप्रतिनिधीओं ने मौन क्यों साधा हैं, क्या इस घटना में वेकोलि का बिजलेंस विभाग सक्रिय होगा। इस घटना को स्थानीय मिडिया के द्वारा क्यों दबाया गया। ऐसे कई सवालों के जवाब आने वाले अंक में मिलेंगा।