सरकारी नौकरशाहों में काम को टालने, काम देरी से करने या फिर एक बार किये गए काम को दोबारा पलट कर न देखने का अनोखा हुनर पाया जाता है। दिग्रस नगर पालिका प्रशासन ने तो मानो इसी हुनर में बड़ी महारथ हासिल कर ली है।
पालिका के अधिकतर अधिकारी और कर्मचारियों को जब तक जनता से जुड़ी समस्याओं का एहसास न दिलाया जाए, शिकायत न कि जाए या फिर याद न दिलाई जाए तब तक उन्हें कोई फर्क नही पड़ता। वे अपनी लेटलतीफी और बेफिक्री में डुबे रहते है।
पालिका को लेकर किए गए इस तंज (उपहास) का कारण यह है कि इन दिनों शहर में श्री घंटीबाबा का 77 वां पुण्यतिथि महोत्सव चल रहा है और साथ ही आगामी दीपावली त्यौहार के चलते शहर के बाजारों में चहल पहल बढ़ गयी है। ऐसे में शहर की सडकों पर,चौक चौराहो पर मवेशियों का डेरा यातायात में न सिर्फ बाधा उत्पन्न कर रहा बल्कि झुंड में घूमनेवाले आवारा पशुओं के आतंक से राहगीरों में भय व्याप्त है। हालांकि बीते दिनों याने 8 अगस्त 2022 को दैनिक नागपुर मेट्रो समाचार ने बीते 7 सालों से बंद पड़े कांजी हाउस याने गधेघाट के संदर्भ में खबर प्रकाशित कर बंद पड़े कांजी हाउस के नाम पर कथित रूप से ठेका चलाने वालों के फर्जीवाड़े को उजागर किया था। जिलाधिकारी कार्यालय ने इस खबर को सज्ञान में भी लिया था। जिसके बाद पालिका प्रशासन ने बीते सितंबर माह में कांजी हाउस को दोबारा शुरू किया। लेकिन अब फिर से रास्तो पर,चौक चौराहो पर बाजार की सड़कों पर आवारा पशु अपनी धाक जमाते नजर आरहे है। फिर भी पालिका का स्वास्थ्य विभाग और बाजार विभाग दोनों बेसुध होकर लापरवाही की चादर ओढ़ कर अनदेखी का सरकारी हुनर बेफिक्री से दिखाने में मशगूल है, यही वजह है कि सालों बाद खुला कांजी हाउस खाली पड़ा है और आवारा पशु,मवेशी सड़कों पर कब्जा जमाए बैठे नजर आ रहे है।