तहसील के लाख (रायजी) गांव की मुख्य सड़क पर लाखों गड्ढों का जाल बिछ गया है। गांव के लोग और यात्री जान हथेली पर लेकर लाख गांव से लाख फाटा तक दो किलोमीटर की दूरी पार करने को मजबूर है। तहसील के बडे गांव में लाख गांव का शुमार होता है। इस गांव की आबादी लगभग साढ़े चार से पांच हजार की है। आबादी वाला एक बड़ा गांव है। इस गांव की मुख्य खस्ताहाल सड़क पर आए दिन छोटे-बड़े हादसे हो रहे हैं। गांव में न तो बाजार की सुविधा है और न ही अस्पताल की इसलिए गांव के लोगों को हर छोटे बड़े काम के लिए दिग्रस शहर की ओर दौड़ लगानी पड़ती है। सूत्रों की माने तो गड्ढो से भरपूर सड़कों पर आवाजाही से कई लोगों को रीढ़ की हड्डी की समस्या का भी सामना करना पड़ा है। गांव का कोई भी कर्मचारी मुख्यालय में नहीं रहता है। इस समस्या पर न तो प्रशासन ने और ना ही विधायक और सांसद ने गंभीरता दिखाई है । इस बात से नाराज गांववासियों ने अब आरणी दिग्रस सड़क पर रास्ता रोको और भीख मांगो आंदोलन करने का मन बना लिया है।
लाख गांव की बदहाल मुख्य सड़क और भीतरी रास्तों की दुर्दशा किसी से छुपी नही है। इस समस्या से नेतागण और प्रशासन को भी कई बार ज्ञापन सौंप कर अवगत कराया गया,लेकिन किसी विधायक , सासंद और सम्बंधित विभाग के किसी भी बड़े अधिकारी ने इस ओर रुचि नही दिखाई। गौरतलब है, कि राज्य की नई सरकार में अन्न और औषधि प्रशासन मंत्री बने विधायक संजय राठोड ने दिग्रस में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि, वे दिग्रस दारव्हा निर्वाचन क्षेत्र में विकास की धारा को थमने नही देंगे, अपने निर्वाचन क्षेत्र के आखरी छोर पर बसे इंसान को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना ही उनका लक्ष्य है। ऐसे में सवाल उठता है के क्या लाख गांव की सड़कों की दशा से मंत्री महोदय अंजान है? या फिर लाख गांव दिग्रस दारव्हा निर्वाचन क्षेत्र के बाहर है? अगर ऐसा नही है तो फिर लाख गांव को विकास की धारा से आखिर कब जोड़ा जाएगा? इन सवालों के जवाब का दायित्व एकनाथ सरकार में मंत्री बने पूर्व वनमंत्री संजय राठोड पर है। देखना होगा के संजय राठोड लाख गांव की उपरोक्त सड़कों की समस्याओं को लेकर कितनी ततपरता दिखाते है।